अलीराजपुर में पिथौरा चित्रकारी अभ्यास कार्यशाला आयोजित

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अलिराजपुर – ईपत्रकार.कॉम |नन्हें हाथों में पेंटिंग ब्रश और कैनवास पर इन्हीं हाथों से पिथौरा आर्ट की उकेरती कलाकृतियां। मानों कोई पारंगत कलाकार जिले की लोककला को कैनवास पर बना रहा हो। यह नजारा रविवार को अलीराजपुर के डाईट भवन में आयोजित पिथौरा चित्रकला अभ्यास कार्यशाला में नजर आया। जिले के पिथोरा चित्रकार श्री नन्दू मंडलोई एवं श्री देवीसिंह तोमर डेहरी ने वर्कशाप में सम्मिलित बच्चों को पिथौरा कलाकृतियों को बनाने का की कला सिखाई। इसके बाद तो नन्हें हाथों से ऐसी कलाकृतियां बनाई मानों कोई उमदा कलाकार आकृतियों को रूप दे रहा है।

जिले की पारंपरिक लोक कला पिथौरा आर्ट को जन मानस के बीच प्रसिद्ध करने और जन-जन को इससे जोड़ने हेतु जिला प्रशासन की विशेष पहल पर रविवार को स्कूली बच्चों, शिक्षकों और समाजसेवियों के लिए पिथौरा आर्ट अभ्यास वर्कशाप का आयोजन रखा गया था। कार्यशाला के प्रारंभ में प्रशिक्षणार्थियों को विडियों दिखाकर पिथौरा आर्ट के बारे में बताया गया। इसके बाद पिथौरा आर्ट की विभिन्न आकृतियां बनाना सिखाते हुए उक्त आर्ट की बारीकियां सीखाई गई। कलाकारों ने प्रशिक्षणार्थी बच्चों को पिथौरा पेंटिंग तैयार करने हेतु किन-किन बातों का ध्यान देना आवश्यक होता है इसकी जानकारी दी। इस कार्यशाला में भाग लेने बडी संख्या में स्कूली विद्यार्थी पूरे उत्साह के साथ सम्मिलित हुए। प्रशिक्षण लेने के साथ-साथ बच्चों ने विभिन्न कलाकृतियों को मनमोहक और आकर्षक ढंग से तैयार किया। बच्चों ने मनमोहक चित्रों के माध्यम से अपनी कल्पना को पिथौरा आर्ट के माध्यम से उकेरा।

कार्यशाला में बच्चों का उत्साह बढाने हेतु सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग श्री सतीष सिंह, आजीविका मिशन की जिला मिशन प्रबंधक सुश्री शीला शुक्ला, सहायक संचालक श्री महेन्द्र गोयल, सेवानिवृत्त प्राचार्य श्री अरविंद गेहलोद, महिला आयोग सदस्य श्रीमती मंजुला जोशी, अधीक्षक श्री बसंत राठौर, सहित विभिन्न विद्यालयों के प्राचार्यगण विशेष रूप से उपस्थित हुए। कार्यशाला में श्री सहायक आयुक्त श्री सिंह ने बच्चों को शिक्षण के साथ-साथ इस तरह के आयोजन में जुड़ने पर प्रशंसा की। सुश्री शुक्ला नें पिथौरा आर्ट के महत्व पर प्रकाश डाला। पिथौरा आर्ट आम चित्रकला नहीं है बल्कि यह जिले के विशेष महत्व और यहां की प्रकृति, जन जीवन को दर्शाती है। सेवानिवृत्त प्राचार्य श्री गेहलोद ने कहा यह पारंपरिक परिदृश्य को दर्षाती कला के साथ-साथ इस कला का महत्व और जिले की यह परंपरा क्षेत्र में विशेष सांस्कृतिक महत्व रखती है। कार्यशाला को श्रीमती जोशी, सहित विभिन्न विद्यालयों के प्राचार्यों और शिक्षकों ने संबोधित करते हुए ऐसे आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया।

मुक बधिर बालक भुवान भी हुआ सम्मिलित

पिथौरा आर्ट अभ्यास कार्यशाला में ग्राम कुंड स्थित मुक-बधिर आश्रम के बालक भुवानसिंह ने भी भाग लिया। उक्त बालक को कार्यशाला में बताई गई जानकारी आश्रम शिक्षक ने इशारों में समझाई। इसके बाद बालक भुवान ने अपनी उंगलियों से जो आकृतियां बनाई, जिसने सभी का मन मोह लिया।

जिले की संस्कृति आमजन तक पहुंचे यही उद्देश्य
जिले की पारंपरिक और सांस्कृतिक विरासत पिथौरा आर्ट आम जन तक पहुंचे। आम जन इसके महत्व को समझे तथा अधिक से अधिक लोग इससे जुडे इसलिए इस अभ्यास कार्यशाला का आयोजन रखा गया। इसके पश्चात वृहद स्तरीय आयोजन के माध्यम से जिला मुख्यालय स्थित विभिन्न कार्यालयों की बाउंड्रीवॉल पर उक्त पिथौरा आर्ट की आकृतियों को बनाने का कार्य किया जाएगा।

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