असम: 300 करोड़ का सोना गायब होने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

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सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को असम में दो साल पहले रहस्‍यमयी हालात में गायब हुए 300 करोड़ रुपये के सोने और रकम खोजने की मांग की याचिका दायर की गई है. याचिका में इस खजाने का पता लगाने और इसे गायब करने में शामिल लोगों पर कार्रवाई की मांग भी की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने खुफिया विभाग के एक पूर्व अधिकारी मनोज कौशल की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि वो करीब दो साल पहले असम में तैनात था. बोडो उग्रवादी अक्‍सर वहां के व्‍यापारियों से रुपयों की उगाही करते रहे हैं.

चाय के बागान में गाड़ा था खजाना
उग्रवादियों को देने के लिए करीब ढाई साल पहले 2014 में असम टी ऑनर्स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष मृदुल भट्टाचार्य ने 300 करोड़ रुपये जमा किए थे. यह राशि उग्रवादियों को सोने की शक्ल में दी जानी थी. उग्रवादियों की मांग के मुताबिक राशि को सोने में बदल कर 300 करोड़ के सोने के साथ कुछ एके-47 राइफल वगैरह असम के ही एक चाय के बागान में गाड़ कर छिपा दिया गया था. ताकि समय आने पर यह सोना बोडो उग्रवादियों को दिया जा सके.

खुफिया अफसर ने निभाया फर्ज
इसकी जानकारी सिर्फ मृदुल भट्टाचार्य को थी. लेकिन मृदुल भट्टाचार्य और उनकी पत्नी रीता को साल 2012 में ही तिनसुकिया के उनके बंगले में जला कर मार दिया गया. याचिकाकर्ता मनोज कौशल ने बताया कि उन्‍होंने भट्टाचार्य हत्‍याकांड की जांच की तो उन्‍हें वो जगह भी मिल गई, जहां पर बोडो उग्रवादियों के लिए 300 करोड़ रुपये का सोना छिपाया गया था. खुफिया विभाग का अधिकारी होने के नाते उन्‍होंने यह सूचना सेना अधिकारियों को दी.

आला अधिकारियों की जांच की मांग
सेना अधिकारियों ने तय किया कि वो 1 जून 2014 को उस जगह से खुदाई कर सोना निकाल लेंगे. मगर कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के चलते यह सूचना लीक हो गई. कुछ अज्ञात लोगों ने 30 मई की रात को ही उस जगह पर खुदाई कर 300 करोड़ रुपये का सोना और हथियार चुरा लिये. मनोज कौशल ने इस मामले में शामिल अधिकारियों की जांच व उन पर कार्रवाई के लिए कई आला अधिकारियों को शिकायत की, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई. लिहाजा, उन्हें अब अदालत की शरण लेनी पड़ रही है.

मामले की अगली सुनवाई 6 मई को
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि इस पूरे प्रकरण की उच्‍च स्‍तरीय जांच कराई जाए और जानकारी को लीक कराने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए. इसके साथ ही सोना निकालने वाले लोगों और गायब सोने का पता लगाकर उसे भारत सरकार के खजाने में जमा कराया जाए. अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 मई को होगी.

 

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