आखिर शनि देव पर ही क्यों चढ़ाया जाता है तेल

0

शनि नवग्रहों में सबसे अधिक भयभीत करने वाला ग्रह है। शनिदेव दक्षप्रजापति की पुत्री संज्ञादेवी और सूर्यदेव के पुत्र है। इसका प्रभाव एक राशि पर ढाई वर्ष साढे साती के रूप मे लंबी अवधि तक भोगना पडता है। शनिदेव की गति अन्य सभी ग्रहों से मंद होने का कारण इनका लंगडाकर चलना है।

शनि देव पर तेल:
जब भगवान राम की सेना ने सागरसेतु बांध लिया, ताकि राक्षस इसे हानि न पहुंचा, पवनपुत्र हनुमान को उसकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई। तभी सूर्यपुत्र शनि ने अपना काला कुरूप चेहरा बनाकर क्रोधपूर्वक कहा-“हे वानर! मैं देवताओं में शक्तिशाली शनि हूं। सुना है, तुम बहुत बलशाली हो। आंखें खोलो और मुझसे युद्ध करो, मैं तुमसे युद्ध करना चाहता हूं।

लड़ने को उतारू थे शनि:
हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा-“इससमय मैं अपने प्रभु का ध्यान कर रहा हूं। आप मेरी पूजा में विघ्न मत डालिए। आप मेरे आदरणीय हैं, कृपा करके यहां से चले जाइए।” जब शनि लडने पर ही उतर आए, तो हनुमान ने शनि को अपनी पूंछ मे लपेटना शुरू कर दिया। फिर उसे कसना प्रारंभ कर दिया। जोर लगाने पर शनि उस बंधन से मुक्त न होकर पीडा से व्याकुल होने लगे।

शनि ने मानी गलती:
तब शनिदेव ने हनुमानजी से प्रार्थना की मुझे बंधनमुक्त कर दीजिए। मैं अपने अपराध की सजा पा चुका हूं। फिर मुझसे ऎसी गलती नहीं होगी। इस पर हनुमानजी बोले-“मैं तुम्हें तभी छोडूंगा, जब तुम मुझे वचन दोगे कि श्रीराम के भक्तौं को कभी परेशान नहीं करोगे। यदि तुमने ऎसा किया, तो मैं तुम्हें कठोर दंड दूंगा।”

तेल से शान्त हुई पीड़ा:
शनि ने गिडगिडाकर कहा-“मैं वचन देता हूं कि कभी भूलकर भी आपके और श्रीराम के भक्तों की राशि पर नहीं आउंगा। आप मुझे छोड दें।” तब हनुमान ने जो तेल दिया, उसे घाव पर लगाते ही शनिदेव की पीडा मिट गई। उसी दिन से शनिदेव को तेल चढता है, जिससे उनकी पीडा शांत होती है और वे प्रसन्न हो जाते है।

Previous articleचीन से लगी सीमाओं पर जल्द होगा सड़क निर्माण पूरा – मोदी सरकार
Next articleIBC रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों के लिए अच्छा अवसर: जेटली

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here