आज के किसान को बाजार में फसलों की उपलब्धता के अनुरूप खेती करने की आवश्यकता है – विधायक श्री पाटीदार

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खरगौन – (ईपत्रकार.कॉम) |आज के किसान को बाजार में फसलों की उपलब्धता के अनुरूप खेती करने की आवश्यकता है। किसान बगैर बाजार की आवश्यकता को सोचे समझे मनचाही फसल लगाता और अच्छा उत्पादन भी प्राप्त करता है, परंतु बाजार में अच्छा भाव नहीं होने के कारण वाजिफ मुनाफा नहीं ले पाता है। ऐसे कार्य के लिए किसानों के लिए शिक्षा और ज्ञान की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में शासन द्वारा समय-समय पर किसान हितैषी संगोष्ठियां की जाती है। इसके अलावा कई योजनाएं भी संचालित हो रही है और अब भावांतर योजना से किसानों को सीधे लाभ दिलाने की परंपरा प्रारंभ हो रही है। यह बात क्षेत्रीय विधायक श्री बालकृष्ण पाटीदार ने स्थानीय कृषि मंडी में आयोजित खंड स्तरीय कृषक संगोष्ठी में कहीं। एक दिवसीय संगोष्ठी में जनपद पंचायत अध्यक्ष श्री रमेश चौहान, कृषि उपज मंडी उपाध्यक्ष श्री छोटु कुशवाह, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एमएल शर्मा, डॉ. व्हायके जैन, उपसंचालक कृषि श्री एमएल चौहान, परियोजना संचालक आत्मा श्री एमएल वास्केल, मंडी सचिव श्री श्रीवास्तव सहित कृषक एवं नागरिकगण उपस्थित रहे।

संगोष्ठी में किसानों को भी संबोधित करने का अवसर दिया गया। झिरन्या के उन्नत किसान जितेंद्रसिंह तोमर ने वर्षों पहले का एक किस्सा बताया, जो खेती में बदलाव को बताता है। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी था, जब विवाह में दुल्हे को सोने की चेन, रेडियों और कई तरह के बहुमूल्य उपहार देना आम बात होती थी, लेकिन उस समय उनके पिता ने विवाह के दौरान उनके ससुर से गोबर से भरे रूखढ़ा लेने की इच्छा जाहिर की। यह बताता है कि उस समय खाद की कितनी महत्वता थी। इसका परिणाम आज भी हमे अपने खेतों में देखने को मिलता है। किसान तोमर ने यह भी कहा कि आज जरूरत फसल नष्ट न हो इसके लिए प्रयास करने की है। किसान को अपनी समझ का सही उपयोग करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि बीज किसान उपजता है और बीज लेने की लाईन बाजार की दुकान पर लगती है। हम स्वयं भी हितग्राही ही है। हमे उपभोक्ता की दृष्टि से भी देखना होगा।

संगोष्ठी के दौरान वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएल शर्मा ने संबोधित करते हुए फसल चक्र, मिट्टी परीक्षण और जैविक खेती के बारे में जानकारी दी। संगोष्ठी में विभागीय अधिकारियों ने भावांतर योजना और अन्य योजनाओं के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

भावांतर योजना में शामिल है यह फसलें
भावांतर योजना में शासन द्वारा खाद्यान्न, दलहनी और तिलहन फसलें शामिल की गई है। इनमें सोयाबीन, मुंगफली, तिल और रामतिल, खाद्यान्न में मक्का, दलहनी फसलों में मूंग और उड़द शामिल है। यह सभी फसलों से 16 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक खरीदी जाएगी। जबकि तुअर की फसल 1 फरवरी से 30 अप्रैल तक मान्य किया जाएगा। किसान 15 अक्टूबर तक पंजीयन करा सकेंगे।

भावांतर योजना के लिए हुई प्रश्नोत्तरी
एक दिवसीय संगोष्ठी में किसानों की जागरूकता के लिए भावांतर योजना से संबंधित प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया। इसमें मौजूद किसानों से भावांतर योजना के विषय में प्रश्न पूछे गए। सही जवाब देने वाले किसान को तत्काल लंच बाक्स (टिफिन) उपहार स्वरूप दिए गए। उपहार जितने वालों में निमगुल के लोकेश यादव, बगुद के रामेश्वर शिवराम और अन्य किसान रहे।

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