आरटीआई एक्ट का मूल उद्देश्य शासकीय सेवकों को जनता के प्रति जवाबदेही बनाना है -आयुक्त श्री आत्मदीप

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शिवपुरी- (ईपत्रकार.कॉम) |राज्य सूचना आयुक्त श्री आत्मदीप ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) का मूल उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत बनाने के साथ-साथ शासकीय सेवकों को जनता के प्रति जवाबदेही बनाना है। कामकाज को साफ-सुथरा बनाकर पारदर्शिता लाना है। यह अधिनियम स्वतंत्रता की मूल धूरी है। यह एक ऐसा अधिनियम है, जिसमें 2005 से लेकर अभी तक संशोधन की आवश्यकता नहीं पड़ी है। उक्त आशय की जानकारी राज्य सूचना आयुक्त श्री आत्मदीप ने आज जिलाधीश कार्यालय के सभाकक्ष में जिले के लोक सूचना अधिकारियों एवं अपीलीय अधिकारियों की आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में व्यक्त किए।

कार्यशाला में कलेक्टर श्री तरूण राठी, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती नीतू माथुर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री कमल मौर्य सहित विभिन्न कार्यालयों में बनाए गए अपीलीय एवं लोक सूचना अधिकारी आदि उपस्थित थे।

श्री आत्मदीप ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार का आंदोलन ग्रामीण क्षेत्रों से होकर महानगरों तक पहुंचा। उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम की विभिन्न पहलूओं की जानकारी देते हुए बताया कि धारा 24 के तहत केन्द्र एवं राज्य सरकार की परिधि में लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू एवं सेना के तीनों विंगो को नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में पहली बार सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे में राशन दुकानों को भी लिया गया है।

सूचना आयुक्त ने अपीलीय अधिकारियों एवं लोक सूचना अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी 2005 सूचना के अधिकार अधिनियम मार्गदर्शिका का गंभीरता के साथ अध्ययन करें और उसके तहत दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप आवेदक को निर्धारित समय-सीमा में जानकारी देने की कार्यवाही भी करें। निर्धारित समय-सीमा में जानकारी उपलब्ध न कराने पर लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही किए जाने के साथ ही अर्थदण्ड का भी प्रावधान है, जो उसके वेतन से काटा जा सकता है।

श्री आत्मदीप ने सभी कार्यलय प्रमुखों को निर्देश दिए कि प्रत्येक कार्यालय में सूचना के अधिकार की पंजी का संधारण हो और प्रत्येक तीन माह में सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त होने वाले आवेदन, आवेदकों को दी जाने वाली जानकारी की भी समीक्षा हो। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित सभी अधिकारियों को आग्रह किया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के संबंध में निःशंकोच होकर अपनी शंकाओं का समाधान कराए।

तीसरे पक्ष की जानकारी के मामले में संबंधित से 05 दिवस में सहमति प्राप्त करें, 10 दिवस के अंदर संबंधित द्वारा सहमति एवं असहमति देने के उपरांत जानकारी लोकहित में होने पर ही दी जाए। उन्होंने कहा कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले बीपीएल कार्डधारी, कार्ड का प्रमाणीकरण कराकर जानकारी आवदेक स्वयं द्वारा 50 पृष्ठ तक निःशुल्क मांग सकता है। दुर्भावनापूर्ण जानकारी मांगने पर आवेदक के विरूद्ध कार्यवाही होगी।

कार्यशाला के शुरू में कलेक्टर श्री तरूण राठी ने बताया कि देश में सूचना का अधिनियम अधिनियम लागू हुए डेढ़ दशक हो चुका है। इस अधिनियम की शासकीय सेवकों को जानकारी देने हेतु जिला एवं राज्य स्तर पर प्रशिक्षण भी प्रदाय किए गए है।

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