कच्चे तेल पर ईरान का असर, 2003 के बाद से सबसे निचले स्तर पर आए दाम

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कच्चे तेल के दाम में गिरावट का दौर पहले से ही जारी है, ऐसे में ईरान से प्रतिबंध हटने के बाद से तेल की कीमत में गिरावट और तेज हो गई है. सोमवार को कच्चे तेल के दाम में 2003 के बाद से सबसे निचले स्तर पर आ गए. आपको बता दें कि कच्चे तेल के दाम 27.67 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए. हालांकि कुछ देर बाद ही स्थिति में सुधार देखने को मिला और यह 28.56 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया.

इस वजह से हटा प्रतिबंध
जानकारों के मुताबिक कच्चे तेल के बाजार में आए इस कोहराम की सबसे बड़ी वजह ईरान पर से प्रतिबंध हटाया जाना है. इस प्रतिबंध के हटने से ईरान अब कच्चे तेल का उत्पादन और बढ़ाने की योजना बना रहा है जिसके चलते तेल की कीमतों में अभी और गिरावट के आसार हैं. आपको बता दें कि तेहरान ने परमाणु प्रोग्राम में कटौती करने के अपने वादे को पूरा किया है. जिसके चलते अमेरिका ने ईरान पर लगाए आर्थिक प्रतिबंधों को वापस ले लिया.

प्रतिदिन 5,00,000 बैरल कच्चे तेल का उत्पादन
इस प्रतिबंध के हटने के बाद से ईरान अब किसी भी देश को किसी भी मूल्य पर तेल बेच सकता है. ईरान पर बैन लगने से पहले वह 2 मिलियन प्रति बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता था, जबकि बैन के बाद यह उत्पादन एक मिलियन प्रति बैरल के करीब रह गया. ईरान के डिप्टी पेट्रोलियम मंत्री ने बताया कि ईरान उत्पादन में इजाफा करके प्रति दिन 5,00,000 बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करेगा.

सप्लाई बढ़ने से गिरावट के आसार
गौरतलब है कि ईरान से अंतर्राष्ट्रीय परमाणु प्रतिबंध को हटा लिए जाने के बाद अब भारत वहां से तेल आयात बढ़ा सकेगा. सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने बताया कि कि ईरान से तेल आयात का यह अवसर तब आया है, जब ईरानी तेल की सप्लाई बढ़ने से वैश्विक तेल मूल्य में अधिक गिरावट हो सकती है.

11 लाख बैरल तेल का रोजाना निर्यात
ईरान अभी 11 लाख बैरल तेल का रोजाना निर्यात करता है, जिसमें जल्द ही वह पांच लाख बैरल की वृद्धि करेगा और उसके बाद फिर पांच लाख बैरल की वृद्धि करेगा. भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की कीमत शुक्रवार को प्रति बैरल 26.43 डॉलर पर बंद हुई, जो 13 साल का निचला स्तर है. उसी दिन तेल कंपनी ने पेट्रोल और डीजल का मूल्य में भी कटौती की थी.

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