बालाघाट – (ईपत्रकार.कॉम) |बालाघाट जिले में इस वर्ष कम वर्षा हुई है। यह एक प्राकृतिक आपदा है। जिस पर किसी भी जोर नहीं चलता है। कम वर्षा के कारण कटंगी, वारासिवनी, खैरलांजी, बैहर व बिरसा तहसील में धान का रोपा नहीं लगाया जा सका है। यह किसानों के लिए कठिन समय है। प्रदेश सरकार प्राकृतिक आपदा की इस घड़ी में किसानों के साथ खड़ी है और किसानों को हर संभव मदद करेगी। यह बातें मध्यप्रदेश शासन केकिसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री गैरीशंकर बिसेन ने आज 06 अक्टूबर 2017 को खैरलांजी एवं कटंगी में आयोजितकिसान संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।
किसान संगोष्ठी में विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल, श्री के डी देशमुख,जिला पंचायत की कृषि समिति के सभापति डॉ. विजय खेरे, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती अरूणा गजभिए, श्रीमती मालती मर्सकोले, श्री राकेश बनोटे, जनपद पंचायत के सदस्य, कृषि विभाग के अधिकारी एवं बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।
कृषि मंत्री श्री बिसेन ने किसानों से कहा कि संकट की इस घड़ी में वे घबरायें नहीं। प्रभावित किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ दिलाया जायेगा। इसके साथ ही आरबीसी-6-4 के प्रावधानों के तहत भी मदद की जायेगी। श्री बिसेन ने कहा कि फसल कटाई प्रयोग का कार्य प्रारंभ कर दिया है। इसके आधार पर फसल बीमा व आरबीसी-6-4 के प्रकरण तैयार किये जायेंगें। जिन पटवारी हल्कों में गत वर्ष की तुलना में 66 प्रतिशत कम फसल होगी वहां के किसानों को आरबीसी-6-4 के प्रावधानों के अनुसार मदद दी जायेगी। जिन किसानों केखेतों में धान की फसल हुई है उसे समर्थन मूल्य पर खरीदने का पूरा इंतजाम किया गया है।
कृषि मंत्री श्री बिसेन ने कहा कि प्रदेश की सरकार किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लक्ष्य को लेकर काम कर रही है। इसके लिए खेती को लागत को कम करके फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को सुविधायें दी जा रही है। खेती को लागत को कम करने के लिए किसानों को हमारे पूर्वजों द्वारा बताये गये जैविक खेती के तरीके के साथ कृषि के यंत्रीकरण को अपनाना होगा। किसानों को रासायनिक खाद एवं उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग बंद करना चाहिए। कीटनाशकों के अधिक उपयोग से फसलों के मित्र कीट एवं जंतु भी नष्ट हो रहे है। हमारे खेतों में पैदा होने वाला अनाज प्रदूषित हो गया है। अनाज के प्राकृतिक गुणों में कमी आने लगी है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो गई है। इन सब दुष्परिणामों से बचने के लिए किसानों को जैविक खेती की ओर बढ़ना होगा और उर्वरकों का संतुलित मात्रा में उपयोग करना होगा।
कृषि मंत्री श्री बिसेन ने कहा कि प्रदेश सरकार के द्वारा किसानों को बहुत सी सुविधायें दी जा रही है। प्रदेश सरकार की किसान हितैषी नीतियों एवं किसानों के अथक परिश्रम से मध्यप्रदेश को लगातार पांच बार कृषि कर्मण पुरूस्कार मिला है। वर्ष 2003 में प्रदेश में 35 लाख मिट्रीक टन गेहूं पैदा होता था, जो वर्ष 2017 में बढ़कर 215 लाख मिट्रीक टन तक पहुंच गया है और मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक गेहूं उत्पादक दूसरा राज्य बन गया है।
कृषि मंत्री श्री बिसेन ने किसानों से कहा कि वे एकीकृत खेती करें और अनाज के साथ ही फलों, सब्जियों एवं फूलों की खेती भी करें। इसके साथ ही पशुपालन को भी अपनायें। मंत्री श्री बिसेन ने मुख्यमंत्री कृषक जीवन कल्याण योजना की चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में कृषि कार्य के दौरान किसान की मृत्यु होने पर उसके परिवार को 4 लाख रुपये की सहायता के साथ ही अंतिम संस्कार के लिए 4 हजार रुपये देने की व्यवस्था की गई है।