कुपोषण से मुक्ति दिलाना हम सभी का परम कर्तव्‍य एवं दायित्‍व है- कलेक्टर

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अशोकनगर- (ईपत्रकार.कॉम) |कुपोषण से मुक्ति दिलाना हम सभी का परम कर्तव्‍य एवं दायित्‍व है। बच्‍चों को सही खान पान एवं पौष्टिक आहार मिले जिससे उनकी वृद्धि बढ़िया ढंग से सके। सामाजिक सरोकारों से जुड़े अभियानों या कार्यक्रमों को सफल बनाने में मीडिया की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस आशय के विचार कलेक्‍टर श्री बी.एस.जामोद द्वारा गुरूवार को कलेकट्रेट सभाकक्ष में राष्‍ट्रीय सुपोषण सप्‍ताह अंतर्गत आयोजित मीडिया कार्यशाला के अवसर पर व्‍यक्‍त किये। कार्यशाला में प्रभारी अधिकारी महिला एवं बाल विकास सुश्री आकांक्षा सिंह तोमर, संभागीय समन्‍वयक श्री ज्ञानेन्‍द्र दुबे, सीएचएआई श्री ऊधम सिंह लोधी, सहायक संचालक श्री एस.एम.सिद्दीकी, इलेक्‍ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के जिला ब्‍यूरों एवं प्रतिनिधि उपस्थि‍त थे।

कलेक्‍टर श्री जामोद ने कहा कि जनसामान्य में शिशु के समग्र विकास के लिए पोषण आहार के महत्व को प्रभावी ढंग से प्रचारित करने में मीडिया ही सबसे कारगर माध्यम है। आगामी 01 सितम्बर से 07 सितम्बर 2017 तक चलने वाले राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया जायेगा। उन्‍होंने कहा कि शिशु जन्म से ही स्वस्थ्य हो, इसके लिए जरूरी है कि गर्भवती महिला का समुचित ध्यान रखा जाए और उसे पर्याप्त पोषण आहार दिया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ-साथ पूरे समाज का दायित्व है कि बच्चों को पर्याप्त पोषण आहार मिले और वे कुपोषण से मुक्त रहे। इसके लिए यह जरूरी है कि हम सभी अपने-अपने स्तर पर लोगों को जागरूक करें। उन्होंने कहा कि बच्चे के पोषण के लिए पर्याप्त पोषक तत्व से युक्त आहार सभी के घरों में उपलब्ध रहता है लेकिन जानकारी नहीं होने के कारण उनका समुचित उपयोग नहीं कर पाते। उन्‍होंने किचिन गार्डन तैयार किए जाने पर भी बल दिया। कार्यशाला में मीडिया कर्मियों द्वारा बहुमूल्य सुझाव दिए।

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की गतिविधियां
कार्यशाला में प्रभारी अधिकारी महिला एवं बाल विकास सुश्री आकांक्षा सिंह तोमर ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के प्रथम दिवस 01 सितम्बर को आंगनबाड़ी स्तर पर पोषण परामर्श सत्र का आयोजन किया जाएगा जिसमें सभी गर्भवती धात्री किशोरी बालिकाएं और कुपोषित बच्चों की माताएं उपस्थित रहेंगी। इसी प्रकार द्वितीय दिवस 02 सितम्बर को पोषण बाल सभा तथा बच्चों में व्यक्तिगत स्वच्छता पर चर्चा की जाएगी तथा तृतीय दिवस संतुलित पोषण थाली प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। दिनांक 3 सितम्बर को रविवार होने के कारण अवकाश रहेगा। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के चतुर्थ दिवस गोद भराई तथा पोषण परामर्श आयोजित किए जाएंगे तथा टीएचआर की नई व स्वादिष्ट रेसिपी की जानकारी दी जाएगी तथा पंचम दिवस पोषण दस्तक एवं पोषण प्रश्नोत्तरी भरना, ग्राम की पोषण वाटिका का कृषि विभाग के कर्मचारियों के साथ भ्रमण एवं उपचार किया जाएगा। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के छठें दिवस कन्या महाविद्यालयों में पोषण परिचर्चा तथा विद्यालयों में कैसा हो अपने गांव का संतुलित भोजन विषय पर निबंध प्रतियोगिता व सब्जियों, फलों का वितरण किया जाएगा।

सेहत सस्ती हैं किन्तु बीमारी महंगी हैं
संभागीय समन्‍वयक श्री ज्ञानेन्‍द्र दुबे ने बताया कि पोषण जागरूकता हेतु विभिन्न कार्यक्रम विभाग द्वारा रैली, सेमिनार उन्मुखीकरण, स्कूलों में निबंध प्रतियोगिता इत्यादि का आयोजन किया जायेगा। ‘‘सेहत सस्ती हैं किन्तु बीमारी महंगी हैं’’ टेग लाईन के साथ पोषण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के तहत ग्राम स्तर पर रैली का आयोजन किया जायेगा, जिससे गांव में जागरूकता आयेगी। साथ ही संतुलित पोषण थाली प्रतियोगिता, गोद भराई तथा पोषण परामर्श, स्‍कूलों एवं महाविद्यालयों में पोषण परिचर्चा तथा विद्यालयों में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन, पोषण आनंद परिचर्चा, न्यूट्री कार्नर व्‍यवस्‍था तथा पोषण परामर्श सत्र का भी आयोजन किया जाएगा।
कार्यशाला में बताया गया कि ‘‘अपना पोषण अपने हाथ‘‘ पर आधारित पोषण आनंद मेले का आयोजन, पोषक व्यंजनों के स्टॉल लगाना, जिला मुख्यालयों के सभी स्कूलों में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा, जिसके विषय केमीकल खाद, पेस्टीसाइड आदि के दुष्परिणाम होंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकों के मिट्टी, पानी और मानव स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों का प्रचार हो सके। जिले के प्रत्येक विकासखण्ड में चयनित पोषण स्मार्ट विलेज में पोषण रथ का संचालन किया जायेगा।

6 माह के पश्चात शिशु को पूरक आहार देना
कार्यशाला में जानकारी दी गई कि 6 माह तक के शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम और सम्पूर्ण आहार माना गया है। शिशु को 6 माह के पश्चात स्तनपान के साथ-साथ पर्याप्त, सुरक्षित एवं उपयुक्त पूरक तथा ऊपरी आहार देना चाहिए जो कि छोटे बच्चों की पोषण आवश्यकता को पूरा कर सके। शिशु के 6 माह पूरे होने पर मां के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार देने से शिशु का सही विकास होता है। छः महीने का बच्चा तेजी से बढ़ता है। उसकी शारीरिक गतिविधियां बढ़ने से उसे अधिक ताकत की आवश्यकता होती है और ऊपरी आहार यह आवश्यकता पूरी करता है। पहले वर्ष में शिशु बहुत तेजी से बढ़ते हैं एवं उनकी आयरन की आवश्यकता बढ़ जाती है। इसलिए उनके भोजन में आयरन युक्त खाद्य पदार्थ अवश्य शामिल करना चाहिए। भोजन में विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थो को शामिल करना चाहिए जिससे आयरन के अवशोषण में बढ़ोत्तरी होगी। हरी पत्तेदार सब्जियां, पीले एवं केसरी फल तथा सब्जियां, दूध एवं दूध से बने खाद्य पदार्थ विटामिन ए के अच्छे स्त्रोत हैं। इन्हें बच्चों के भोजन में अवश्य शामिल करना चाहिए। दो वर्ष की आयु तक स्तनपान कराने से बच्चे की मजबूत एवं स्वस्थ वृद्धि में मदद मिलती है। जो बच्चे 6 माह की आयु से सम्पूरक आहार लेने की शुरूआत कर देते हैं, उनकी वृद्धि बढ़िया ढंग से होती है। गाढ़ा एवं नरम सुसंगति वाले घरेलू आहार: वे आहार जो आसानी से चम्मच में ठहरें, पोषण दें और बच्चे की जरूरतें पूरी करें।

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