कॉल सेंटर घोटाले में भारतीय मूल का अमेरिकी शामिल

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वॉशिंगटन। भारत से चलाए जाने वाले कॉल सेंटर के अमेरिका में टेलीफोन प्रतिरूपण धोखाधड़ी (टेलीफोन इंपरसोनेशन फ्रॉड) एवं धनशोधन योजना (मनी लांड्रिंग स्कीम) का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। भारत के एक नागरिक और भारतीय मूल के अमेरिकी व्यक्ति ने शुक्रवार को यहां इस घोटाले में अपने संलिप्त होने की बात स्वीकार कर ली है।

कानून मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल इलिनॉस में रह रहे भारतीय नागरिक 30 वर्षीय मोंटू बारोट (30) और टेक्‍सास के रहने वाले भारतीय मूल के अमेरिकी निलेश पांड्या (54) ने लाखों डॉलर के कॉल सेंटर के घोटाले में शामिल होने की बात स्वीकार की।

न्याय विभाग ने कहा कि इस घोटाले में 54 लोगों और भारत से चलने वाले पांच कॉल सेंटरों पर मामला दर्ज किया गया है। इस मामले के विभिन्न सह-आरोपी इस वर्ष अप्रैल से जुलाई के बीच पहले ही अपना दोष स्वीकार कर चुके हैं।

इस मामले के विभिन्न सह-आरोपी भारत कुमार पटेल, अश्विन भाई चौधरी, हर्ष पटेल, नीलम पारिख, हरदीप पटेल, राजूभाई पटेल, विराज पटेल, दिलीप कुमार ए पटेल, फहद अली, भावेश पटेल और अस्मिता बेन पटेल को इस साल अप्रैल और जुलाई के बीच विभिन्न तिथियों में दोषी ठहराया जा चुका है।

डेटा ब्रोकर्स और अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी का उपयोग करते हुए अहमदाबद में स्थित कॉल सेंटर के ऑपरेटरों ने अमेरिकी पीड़ितों को लक्षित किया, जिन्हें गिरफ्तारी, कारावास, जुर्माना या निर्वासन की धमकी दी गई कि उन्होंने सरकार के कथित पैसों का भुगतान नहीं किया।

अपनी अलग-अलग अर्जियों में पांड्या, बारोट और उनके सहआरोपियों ने अपनी स्वीकृतियों में कहा कि एक जटिल योजना के तहत अहमदाबाद स्थित कॉल सेंटर्स से आईआरएस और यूएस सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज के अधिकारियों के नाम से बात की और इसी तरह से समूचे अमेरिका में भी पीड़ितों को धोखाधड़ी करने के लिए कॉल किए।

इतना ही नहीं, पीड़ितों ने पूछा कि वे किस तरह से वांछित भुगतान कर सकते हैं। उन्हें कहा गया कि वे स्टोर वैल्यू कार्ड खरीदें या वायर से पैसों का भुगतान करें। जब भुगतान मिल जाता तो अमेरिका के ‘रनर्स’ के नेटवर्क्स के लोगों को बताया जाता कि धोखाधड़ी से मिले पैसों को किस तरह से‍ ठिकाने लगाया जाए।

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