गालिब की फनी शायरी

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गालिब फरमाते हैं,

चली जाती हैं आए दिन वो ब्यूटी पार्लर में यूं

उनका मकसद है मिसाले-हूर हो जाना।

मगर ये बात किसी बेग़म की समझ में क्यूं नहीं आती,

कि मुमकिन ही नहीं किशमिश का फिर से अंगूर हो जाना।

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