गौ पूजन से दूर होगा पितृदोष, नहीं होगी आर्थ‍िक तंगी

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हिन्दू धर्म में गौ पूजा का खास महत्व बताया जाता है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति, गाय माता की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है उस पर संतुष्ट होकर गाय माता उसे अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती हैं.

यदि कोई व्यक्त‍ि किसी वजह से तीर्थ पर नहीं जा पा रहा है तो वह गाय की सेवा करे. गाय की सेवा से तीर्थ करने के बराबर पुण्य मिलता है. गाय की सेवा करने वाले व्यक्त‍ि के जीवन में सुख एवं समृद्धि बनी रहती है. अगर किसी की कुंडली में पितृदोष है या शुक्र नीच में राषि में है तो गाय की पूजा और उसकी देखभाल लाभकारी साबित हो सकता है.

आपने गोधूलि बेला के बारे में सुना होगा. जी हां यह एक योग होता है. यह योग दरअसल गाय से संबंधित है. यदि किसी के विवाह के लिए उत्तम मुहूर्त नहीं मिल रहा है या फिर भविष्य में किसी के वैवाहिक जीवन में परेशानियां आने के संकेत हैं और उन्हें दूर करना चाहते हैं तो गोधूलि योग में वर-वधु का विवाह करने से ये सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. शायद यही वजह है कि ज्यादातर विवाह इसी समय में सम्पन्न किए जाते हैं.

एक मान्यता यह भी है कि यदि कोई व्यक्त‍ि गाय को भोजन कराकर किसी यात्रा पर जाए तो उसकी यात्रा सफल होने की संभावना बढ़ जाती है. यही नहीं, यात्रा से पहले यदि कोई गाय बछड़े को दूध पिलाती नजर आ जाए तो समझ लें कि उस व्यक्त‍ि की यात्रा सफल हो गई.

यदि आप अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों के बीच प्रभाव से परेशान हैं तो इसके लिए भी गाय की पूजा लाभकारी होगी . जन्म कुंडली में यदि शुक्र अपनी नीच राषि कन्या पर हो या शुक्र की दशा चल रही हो तो प्रातःकाल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की देशी गाय को 1 महीने 15 दिन तक लगातार खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंधित कुदोष अपने आप ही खत्म हो जाता है.

कुंडली में अगर पितृदोष है तो भी सफेद गाय को रोटी खिलाने से वह हमेशा के लिए दूर हो जाएगा.

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