छोटे उद्योगों के विकास से होगा देश का तेज विकास -मंत्री श्री कलराज मिश्र

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केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि मध्यप्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के क्षेत्र में देश का आदर्श राज्य बनने की पूरी संभावना है। उन्होंने सभी उद्यमियों का आव्हान किया कि इसके लिये वे आगे आये और कड़ी मेहनत करें।

श्री मिश्र आज यहाँ दो दिवसीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सम्मेलन 2016 को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में दो हजार उद्यमियों ने भाग लिया। श्री मिश्र ने कहा कि जब तक छोटे उद्योगों का विकास नहीं होगा देश का तेज विकास नहीं हो सकता। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी की स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और स्टेण्ड अप इंडिया जैसी योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने सूक्ष्म और लघु उद्योगों पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने मध्यप्रदेश द्वारा सूक्ष्म एवं लघु दोनों के लिये अलग से विभाग गठित करने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की तारीफ की। श्री मिश्र एवं श्री चौहान ने मध्यप्रदेश की स्टार्ट अप नीति का विमोचन किया। इसके साथ ही मध्यप्रदेश अपनी स्वयं की स्टार्ट अप नीति लागू करने वाला पहला राज्य बन गया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कई घोषणाएँ की। अब एमएसएमई इकाइयों की स्थापना के लिये दी गई सुविधाएँ और सहायता को लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम में शामिल किया जायेगा। इससे पूँजी अनुदान, वेट प्रतिपूर्ति एवं प्रवेश कर छूट संबंधी कार्रवाई एक माह की समय-सीमा में पूरी करनी होगी। इसके अलावा अन्य अनुमतियों को भी इस अधिनियम के दायरे में लाया जायेगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि एमएसएमई इकाइयों को दी गई भूमि के क्षेत्रफल एवं मूल्य में दी जा रही छूट के स्लेब में परिवर्तन कर भूमि के मूल्य पर अधिकतम छूट बढ़ाकर 90 प्रतिशत से 95 प्रतिशत की जायेगी।

श्री कलराज मिश्र ने पूरे विश्व में मध्यप्रदेश द्वारा सर्वाधिक कृषि विकास दर हासिल करने के लिये मुख्यमंत्री की तारीफ की और कहा कि अब सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि केन्द्र की योजनाओं और प्रौद्योगिकी के सहयोग से लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों को मदद मिलेगी। केन्द्र सरकार द्वारा लघु उद्यमियों के लिये स्थापित किये गये 12 टूल रूम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के सहयोग से देश में 15 नये टेक्नालॉजी सेंटर शुरू किये जायेंगे। इनमें से एक भोपाल के अचारपुरा में 125 करोड़ रूपये की लागत से शुरू होगा। इसमें प्रति वर्ष 8000 उद्यमियों को प्रशिक्षण दिया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिये शहर में 25 प्रतिशत और गाँव में 35 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। मध्यप्रदेश के लिये 160 करोड़ रूपये की मार्जिन मनी उपलब्ध करवाई गई है। इस प्रकार मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे चल रहा है। उन्होंने टेक्नालॉजी सेंटर का शिलान्यास भी किया।

श्री मिश्र ने बताया कि देवास और अमरकंटक में इंक्यूबेशन सेंटर खोले जायेंगे। केन्द्र की स्फूर्ति योजना में होशंगाबाद और बैतूल को शामिल किया गया है। योजना में पारम्परिक उद्योगों को दोबारा जीवन दिया जाता है। उन्होंने कहा कि रीवा में सुपारी कला भी ऐसा ही उद्योग है। इसमें भी केन्द्र मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने वाली इन्फ्रा-स्ट्रक्चर संबंधी योजनाओं और सुविधाओं के लिये मध्यप्रदेश द्वारा भेजे गये प्रस्तावों पर प्राथमिकता से विचार किया जायेगा। उन्होंने बताया कि क्लस्टर विकास में शिवपुरी और गोविंदपुरा को शामिल किया गया है। श्री मिश्रा ने आशा व्यक्त की कि केन्द्र की योजनाएँ और राज्य सरकारों के सहयोग से सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के उत्पादों को विश्व बाजार में पहचान मिलेगी। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल 21 जिलों में परम्परागत उद्योगों को बढ़ावा देने और नई इकाइयों की स्थापना के लिये एस.सी.–एस.टी. हब बनाने का प्रस्ताव दें। इसे परीक्षण कर स्वीकृत किया जायेगा। उन्होंने स्टार्ट अप नीति लागू करने के लिये मुख्यमंत्री श्री चौहान की सराहना की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कृषि आधारित प्र-संस्करण इकाइयों की बहुत संभावनाएँ हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के शक्तिशाली नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें मध्यप्रदेश पूरी क्षमता से अपना योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि विकास दर के मामले में मध्यप्रदेश पूरे देश में आगे हैं और कृषि विकास दर में पूरे विश्व में अग्रणी है। प्रदेश हर क्षेत्र में विकास कर रहा है। उन्होंने कहाकि एक दशक पहले मध्यप्रदेश पिछड़ा था। आज बिजली, पानी, सड़क एवं अन्य अधोसंरचनाओं में आत्म-निर्भर है। कृषि क्षेत्र की प्रगति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश गेहूँ उत्पादन में पंजाब और हरियाणा से आगे निकल गया है और भारत के अन्न भंडार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि खेती के साथ उद्योगों के विकास में ध्यान देते हुए लघु और सूक्ष्म उद्योगों पर ध्यान दिया जा रहा है। लघु एवं मध्यम उद्योगों में रोजगार निर्माण करने की क्षमता है। मध्यप्रदेश में लघु उद्योगों का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। युवाओं को अपना स्वयं का उद्योग स्थापित करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। उन्हें प्रौद्योगिकी, मार्केटिंग और पूँजी की सुविधाएँ देने के प्रावधान किये गये हैं। ऋण वापसी की गारंटी सरकार ने ली है और 15 प्रतिशत की सब्सिडी और ब्याज अनुदान देने जैसे प्रावधान भी किये गये हैं। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए यह प्रयास किया जा रहा है कि हर गाँव मे कम से कम एक कॉटेज इण्डस्ट्री स्थापित हो। अगले दो साल में केन्द्र और राज्य के सहयोग से 5 लाख सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को स्थापित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि एम एस एम ई क्षेत्र के लिये जितनी घोषणाएँ की गई थीं वे सब पूरी हो गई हैं। अब एम.एस.एम.ई सम्मेलन हर साल होगा ताकि समस्याओं का समाधान तत्काल हो जाये। पैसों के अभाव में कोई भी प्रतिभाशाली उद्यमी पीछे नहीं रहेगा।

केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री गिरिराज सिंह

केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में अनुसंधान की आवश्यकता है। एमएसएमई सम्मेलन को ऐतिहासिक अवसर बताते हुए उन्होंने कहा कि लघु उद्यमियों को प्रौद्योगिकी से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह कम पूँजी लागत में ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है।श्री सिंह ने मध्यप्रदेश की कृषि क्षेत्र में हुई प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने औद्योगिक विकास और कृषि विकास के बीच संतुलन रखा है। उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं को रोजगार की आवश्यकता है और एमएसएमई सेक्टर ज्यादा संख्या में रोजगार दे सकता है और लोगों की खरीदी क्षमता बढ़ा सकता है। श्री सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश द्वारा एमएसएमई सेक्टर को दिया जा रहा प्रोत्साहन सराहनीय है।

केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री चौधरी

केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्री हरीभाई पारथीभाई चौधरी ने एमएसएमई सम्मेलन करने की मुख्यमंत्री की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी सोच और सक्षम नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्रालय ने प्रत्येक बैंक से अपेक्षा की है कि वे लघु उद्यमियों को प्रोत्साहित करें और उनकी इकाइयों को स्थापित करने में सहयोग करें।

प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग राज्य मंत्री श्री संजय सत्येन्द्र पाठक ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश को उद्योग मित्र राज्य बनाने के लिये प्रतिबद्ध है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमी को हर प्रकार का सहयोग दिया जायेगा। उनके सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उद्योग क्षेत्र का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि सिर्फ पाँच प्रतिशत भारी और बड़े उद्योग हैं बाकी 95 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग है।

प्रमुख सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग श्री वी.एल. कांताराव ने प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की स्थिति एवं प्रगति की जानकारी दी। श्री राव ने इन उद्योगों को प्रोत्साहित करने की भविष्य की रणनीति और कार्य-योजनाओं की भी चर्चा की।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने सुझाव दिये। इनमें लघु उद्योग भारती के श्री नेमीचंद जैन, मध्यप्रदेश लघु उद्योग संघ के अध्यक्ष श्री दीपक शर्मा और मध्यप्रदेश महिला उद्यमी एसोसिएशन की श्रीमती अर्चना भटनागर शामिल हैं।

इस अवसर पर उत्कृष्ट उद्यमियों को केन्द्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री ने पुरस्कृत किया। इनमें वर्ष 2013-14 के लिये मे.बद्री नारायण रबर्स प्रा.लि.मालनपुर भिण्ड (प्रथम), मे. फोर्जर एण्ड फेब्रिकेटर्स उज्जैन (द्वितीय), मे. इंदर इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज गोविंदपुरा भोपाल (तृतीय), वर्ष 2014-15 के लिये मे. न्यू लाईफ लेबोरेटरीज प्रा.लि. मंडीदीप (प्रथम), मे.अनामय गंगा पैकिंग ड्रिंकिंग वाटर दतिया (द्वितीय), मे. फोर्टकैप्स हेल्थ केयर लिमिटेड भोपाल (तृतीय) तथा वर्ष 2015-16 के लिये मे.अथर्व पैकेजिंग इंदौर (प्रथम), मे. कम्फर्ट सिस्टम भोपाल (द्वितीय), मे. पी.सी. कोसमा सोप लि. मालनपुर भिण्ड (तृतीय) शामिल हैं। सभी पुरस्कृत इकाइयों को केन्द्रीय मंत्रीगण और मुख्यमंत्री ने बधाई दी।

इस अवसर पर लघु उद्योग निगम और लाईम रोड के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए। लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष श्री बाबू सिंह रघुवंशी, तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री श्री दीपक जोशी, लाईम रोड की संस्थापक सुश्री मुखर्जी, भारत सरकार के प्रतिनिधि श्री के.के जलान, श्री सुरेन्द्रनाथ त्रिपाठी, विकास आयुक्त, भारतीय उद्योग परिषद के अध्यक्ष श्री सुधीर मेहता, मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री की घोषणाएँ

एम.एस.एम.ई. फेसिटिलेशन सेल गठित होगा

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग इकाइयों को मार्गदर्शन एवं सहायता देने के लिये एमएसएमई फेसिटिलेशन सेल का गठन किया जाएगा। इसके जरिए एमएसएमई इकाइयों को शासन की नीतिओं पर मार्गदर्शन, सुविधा एक स्थान पर मिलेगी। यह सेल एक जनवरी, 2017 से प्रारम्भ किया जाएगा। इस सेल में 20 कंसलटेंट कार्य करेंगें। इन कंसलटेंट को बड़े जिलों में पदस्थ करेंगे और आस-पास के जिलों का दायित्व इन्हें दिया जाएगा।

एमएसएमई इकाइयों के प्रोत्साहन के लिये शासन द्वारा प्रदत्त सुविधाएँ एवं सहायताओं को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के दायरे में सम्मिलित किया जाएगा। इसके अंतर्गत पूँजी अनुदान, वेट प्रतिपूर्ति एवं प्रवेश कर छूट की कार्यवाही पूर्ण करने के लिये एक माह की समय-सीमा तय ।

इसके अलावा उद्योगों की आवश्यक अनुमतियों को भी लोक सेवा गारंटी अधिनियम के दायरे में लाया जायेगा।

पाँच औद्योगिक प्रदर्शनी केन्द्र बनेंगे

प्रदेश के पाँच प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में एक्जीबिशन सेण्टर बनाये जायेंगे। इनमें गोविन्दपुरा भोपाल, रिछाई जबलपुर, पोलो ग्राउण्ड इंदौर,मेला ग्राउण्ड, ग्वालियर एवं सतना शामिल है।

निजी भूमि पर इकाई स्थापना की अनुमति की समय-सीमा तय

एमएसएमई इकाइयों द्वारा अपनी निजी भूमि पर औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित करने के लिये डायवर्सन अंतर्गत रि-असेसमेंट आदेश एक माह में जारी होंगे। इसके वर्तमान प्रावधानों को लोक सेवा प्रबंधन अधिनियम के तहत लाया जायेगा ताकि एक निश्चित अवधि में एमएसएमई इकाइयों को लाभ प्राप्त हो सके।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रति त्रैमास एमएसएमई की समस्या निराकरण/इज ऑफ डूइंग बिजनेस के सुझावों के लिए ओपन हाउस आयोजित किया जाएगा, जिसमें औद्योगिक संघ और विभागों के सचिव साथ रहेंगे।

एमएसएमई विभाग की पृथक वेबसाइट का निर्माण किया गया। यह आज से प्रारंभ होगी।

प्रदेश के उद्यमियों को ऑनलाईन निःशुल्क उद्यमिता प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

निजी औद्योगिक पार्क की स्थापना के विकास में व्यय हुई राशि की प्रतिपूर्ति के लिए उसका क्षेत्रफल न्यूनतम 50 एकड़ के बजाय 10 एकड़ किया जायेगा।

औद्योगिक भूमि आवंटन नियम में बदलाव

एमएसएमई इकाइयों को आवंटित की जाने वाली भूमि के क्षेत्रफल एवं भूमि के मूल्य में दी जा रही छूट के स्लेब में परिवर्तन कर भूमि के मूल्य पर अधिकतम छूट 90 प्रतिशत से बढ़ाकर 95 प्रतिशत की जायेगी।

बीमार/बंद उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए 50 प्रतिशत तक की भूमि को विक्रय किये जाने की अनुमति दी जायेगी। ये सुविधाएँ एक अप्रैल 2015 के पूर्व बंद/बीमार इकाई के रूप में परिभाषित इकाइयों के लिए होगी।

एक अप्रैल, 2015 के पूर्व के पट्टाधारकों को पट्टे की शर्तों के अनुसार ही भू-भाटक प्रभावशील रहेंगे, किन्तु इकाई के हस्तांतरण होने पर नवीन नियम प्रभावशील हो जायेंगे।

30 वर्ष के लीजधारक को 15 वर्ष का भू-भाटक एक मुश्त जमा करने पर शेष 15 वर्ष के भू-भाटक से मुक्त रखा जाएगा।

लीजधारकों को 30 और 99 वर्ष की लीज अवधि का विकल्प दिया जाएगा।

औद्योगिक क्षेत्रों के संधारण के लिये औद्योगिक संगठनों को संधारण शुल्क के साथ जिम्मेदारी सौंपी जाएगी अर्थात जहाँ औद्योगिक संघ इच्छुक है वहाँ शासन द्वारा संधारण शुल्क वसूल नहीं किया जायेगा बल्कि औद्योगिक संघ द्वारा वसूल किया जाकर स्वयं अपने क्षेत्र का संधारण किया जाएगा।

औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक संघों को उनके कार्यालय के लिये जमीन आवंटित की जायेगी।

औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित भवन निर्माण का नियमितिकरण और पूर्व के शुल्क/प्रीमियम का सेटलमेंट करने के लिये वन टाईम सेटलमेंट की एक योजना लायी जाएगी।

मध्यप्रदेश की स्टार्ट अप नीति के मुख्यबिन्दु

मध्यप्रदेश के भीतर स्टार्ट अप और नवाचार संस्कृति विकसित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा ‘प्लग एंड प्ले’ के साथ इंक्यूबेशन सुविधा, प्रोत्साहन और अनुदान प्रदान करने बाबत पृथक से नीति बनायी गई है।

इसके अंतर्गत राज्य के भीतर इंक्यूबेटरों की स्थापना के लिए 50 लाख रूपये तक पूँजी अनुदान प्रदान किया जायेगा।

राज्य में स्टार्ट अप प्रतियोगिता को आयोजित करने के लिये वित्तीय सहायता दी जाएगी।

इंक्यूबेटरों को आवर्ती खर्च हेतु संचालन सहायता, स्टाम्प शुल्क और फीस में छूट, सलाह आदि के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।

मध्यप्रदेश में स्टार्ट अप को प्रत्यक्ष समर्थन प्रदान करने के लिये राज्य सरकार द्वारा ब्याज अनुदान, लीज रेण्ट अनुदान, मार्केटिंग सहायता और पेटेंट/गुणवत्ता संवर्धन अनुदान दिया जाएगा।

मध्यप्रदेश में चयनित स्टार्ट अप को राज्य शासन द्वारा स्थापित मध्यप्रदेश वेंचर केपिटल फण्ड से पूँजी प्रदान की जाएगी।

ग्वालियर में रू. 15 करोड़ की लागत से टेक्सटाईल इंक्यूबेशन सेण्टर की स्थापना की जाएगी।

सभी घोषणाएँ हुई पूरी

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि पूर्व के एम.एस.एम.ई. सम्मेलनों में की गई सभी घोषणाओं की पूर्ति शासन द्वारा कर ली गई है। जी.आई.एस. 2012 एवं जी.आई.एस. 2014 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास के लिये की गई जिन घोषणाओं की पूर्ति की जा चुकी है उनमें क्रेडिट गारंटी, वेण्डर डेव्हलपमेंट, स्व-रोजगार, भूमि आवंटन, टेक्सटाईल नीति, ब्याज अनुदान, रिवर्स बायर्स-सेलर्स मीट, स्व-प्रमाणीकरण, पिछड़े विकासखण्डों को प्राथमिकता, प्रदूषण संबंधी अनुमतियों का सरलीकरण, अपात्र उद्योगों की सूची में कटौत्री, लघु उद्योग संवर्धन बोर्ड का गठन, सरलीकृत उद्योग आधार मेमोरण्डम, वेण्डर इन्सेन्टिव, हरित औद्योगीकरण पर अनुदान, औद्योगिक क्षेत्रों में एमएसएमई के लिये न्यूनतम 20 प्रतिशत भूमि का आरक्षण, वेन्चर केपिटल फण्ड की स्थापना, लघु उद्यमियों को व्यापार के लिये विदेश भ्रमण और लेण्ड बैंक की स्थापना आदि की सुविधाएँ शामिल हैं।

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