दमोह- (ईपत्रकार.कॉम) |सी.एम.हेल्पलाइन में प्राप्त होने वाली शिकायतें जो एल-4 पर निराकरण हेतु स्थानान्तरित की जाती है, उनके निराकरण के संबंध में समय-समय पर की गई समीक्षा उपरांत जो प्रक्रियात्मक गंभीर कमियाँ/त्रुटियाँ परिलक्षित होती है, उन त्रुटियों एवं शिकायतों के प्रभावी निराकरण हेतु कलेक्टर डॉ. श्रीनिवास शर्मा ने समस्त संबंधित अधिकारियों को स्थायी आदेश जारी किये हैं।
उन्होंने कहा सामान्यतः निराकरण की टीप जो एल-1 स्तर पर अंकित की जाती है, वही टीप एल-2 एवं एल-3 में भी अंकित कर दी जाती है, इससे सिद्ध होता है कि एल-2 और एल-3 स्तर पर प्रकरण के निराकरण की समीक्षा नहीं की जा रही है, प्रत्येक प्रकरण की एल-2, एल-3 स्तर पर गहन समीक्षा की जाए तथा उनके स्तर पर तार्किक और स्पष्ट रूप से टीप अंकित की जाए। ऐसा न होने पर ऐसा माना जाएगा की उनके द्वारा प्रकरण के निराकरण करने में कोई रूचि नहीं ली गई है।
जवाब प्राप्त न होने पर संबंधित के विरूद्ध कार्यवाही
उन्होंने निर्देशित किया है एल-1 एवं एल-2 स्तर पर प्रकरण का समय-सीमा में निराकरण नहीं होने पर शिकायतें सक्षम स्तर पर बिना विचार तथा परीक्षण के निराकरण हेतु उच्च लेवल पर स्थानांतरित हो जाती हैं। इन प्रकरणों को बिना निराकरण एवं परीक्षण के उच्च लेवल पर स्थानांतरण किये जाने पर वरिष्ठ अधिकारी अपने स्तर पर अधीनस्थ से स्पष्टीकरण प्राप्त करेगा तथा संतोषजनक जवाब प्राप्त न होने पर संबंधित के विरूद्ध कार्यवाही करेगा या कार्यवाही प्रस्तावित करेगा।
उन्होंने निर्देशित किया बहुतायत शिकायतें लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत अधिसूचित सेवायें होती है लेकिन उनका निराकरण लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत निर्धारित समय-सीमा के तहत नहीं होता है। ऐसे प्रकरणों में लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत निर्धारित दण्ड जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध निर्धारित किया जाए।
स्पेशल क्लोजर करने का तार्किक निर्णय
प्रकरणों में तार्किक रूप से निराकरण होने के बाद भी एल-3 स्तर पर शासन निर्णयानुसार स्पेशल क्लोजर के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है और ऐसे प्रकरणों को एल-4 स्तर पर स्थानांतरित कर दिया जाता है। इसके लिये शासन के निर्देशानुसार यदि एल-3 स्तर पर अधिकारी पूर्णतः संतुष्ट है और आवेदक की शिकायत का निराकरण तार्किक रूप से नियमानुसार किया गया है तो एल-3 स्तर पर निराकरण का विवरण तथा आवेदक की अपेक्षानुसार कार्यवाही न होने के विधिक कारणों का उल्लेख करते हुए स्पेशल क्लोजर करने का तार्किक निर्णय किया जाए।
टीप पोर्टल पर अंकित की जाए
प्रकरणों में शिकायत का निराकरण एल-2 या एल-3 स्तर पर होना होता है लेकिन शिकायत के निराकरण के संबंध में प्रावधान एल-1 अर्थात् तहसीलदार से प्राप्त कर वही टीप एल-2 और एल-3 स्तर पर भी अंकित कर दी जाती है। जबकि संबंधित अभिलेख एल-1 स्तर पर न होकर एल-2 स्तर पर संधारित की जाती है। इस संबंध में उन्होंने बताया शिकायत से संबंधित प्रकरणों का निराकरण जिस स्तर से किया जाना है व विधिक अनुसार जैसा अपेक्षित है तथा जहां उसके अभिलेख संधारित होते है तदनुसार संबंधित के द्वारा निराकरण का सक्षम अधिकारी द्वारा टीप पोर्टल पर अंकित की जाए।
स्टेण्डर्ड प्रोटोकाल, प्रक्रिया तय
उन्होंने कहा है कि राजस्व से संबंधित जो मुख्य शिकायतें प्राप्त हो रही है वो, सामान्यतः बंटवारे, सीमांकन, नामांतरण एवं अतिक्रमण से संबंधित होती है। इनके निराकरण के संबंध में सामान्यतः एल-1 स्थिति से टीप अंकित की जाती है कि ’’प्रकरण का निराकरण किया गया’’, लेकिन उसके बाद भी शिकायतकर्ता असंतुष्ट रहता है। वरिष्ठ स्तर पर विशेष रूप से कलेक्टर स्तर पर यह निष्कर्ष निकालना असंभव होता है कि सक्षम अधिकारी द्वारा किये गये निराकरण को मान्य या अमान्य क्यों किया जाए क्योंकि एल-1 स्तर पर अंकित टीप में यथोचित जानकारियों का तथा लोक सेवा प्रबंधन कार्यालय में प्रस्तुत प्रतिवेदन में यथोचित अभिलेख/जानकारी का अभाव रहता है। निराकरण के संबंध में मान्य एवं अमान्य करने के बारे में तार्किक निर्णय लिया जा सके, उसको ध्यान में रखते हुए विभिन्न तरह की शिकायतों के निराकरण हेतु जो प्रतिवेदन लोक सेवा प्रबंधन कार्यालय को प्रेषित किया जाए तथा जो टीप सी.एम.हेल्पलाइन के पोर्टल में अंकित की जाए उसके लिए नियमानुसार स्टेण्डर्ड प्रोटोकाल/प्रक्रिया तय की जा रही है, जिसका कड़ाई से पालन किया जाए।
पक्षकारों को सुनवाई का अवसर
उन्होंने कहा यह भी देखा जाये की बंटवारे/नामांतरण शिकायतकर्ता का आवेदन किस तारीख को प्राप्त हुआ, क्या सुसंगत पक्षकार प्रकरण में बनाए गए थे अथवा नहीं, क्या पक्षकारों को सुनवाई का अवसर दिया गया अथवा नहीं, आदेश किस तारीख को जारी किया गया है एवं निर्णय क्या था, आदेश पक्षकारों को तामील कराया गया अथवा नहीं, पावती है या नहीं, राजस्व अभिलेखों यथा खसरे, खतौनी, नक्शा आदि में आदेश अनुसार संशोधन किया गया अथवा नहीं, जहां आवश्यक हो उन प्रकरणों में पक्षकार को भू-अधिकार यथा खसरा, खतोनी, नक्शा आदि उपलब्ध कराये गये अथवा नहीं, यदि कराये गये हैं तो किस तारीख को, पावती है या नहीं।
सीमांकन के बारे मे भी देखा जाये
इसी प्रकार सीमांकन के बारे मे भी देखा जाये की शिकायतकर्ता का आवेदन किस तारीख को प्राप्त हुआ, क्या सुसंगत पक्षकार प्रकरण में बनाए गए थे अथवा नहीं, पक्षकारों को नोटिस/समन तामील कराया गया अथवा नहीं, इश्तहार जारी किया गया अथवा नहीं, सीमांकन किस तारीख को किनके द्वारा कराया गया, सीमांकन के समय गांव में ग्रामवासी तथा पक्षकारों में कौन-कौन उपस्थित थे, सीमांकन किये जाने का पंचनामा बनाया गया अथवा नहीं व पंचनामा में किन-किन लोगों के हस्ताक्षर हैं, सीमांकन के समय स्थल के फोटोग्राफ लिये अथवा नहीं, वीडियोग्राफी कराई गई अथवा नहीं।
अवैध कालोनियों का सीमांकन
उन्होंने कहा अवैध कॉलोनी के संबंध में सीमांकन किया जाना यदि संभव है तो स्पष्ट रूप से टीप अंकित की जाए कि संदर्भित कॉलोनी के संबंध में अवैध कॉलोनी का प्रकरण सक्षम न्यायालय में किस दिनांक को दर्ज किया गया है एवं उस प्रकरण की क्या स्थिति है।
सीमांकन एवं अतिक्रमण
पंचनामा में गांव के प्रमुख जैसे सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, कोटवार आदि के हस्ताक्षर प्रमुखता से कराए जाएं तथा पोर्टल में भी अंकित की जावे। इसी तरण शिकायतकर्ता के उपस्थित रहने अथवा अनुपस्थित रहने का उल्लेख पोर्टल पर दर्ज किया जावे। हस्ताक्षर करने से मना करने पर उसका भी उल्लेख किया जावे।
अतिक्रमण
शिकायतकर्ता का आवेदन किस तारीख को प्राप्त हुआ, क्या प्रकरण दर्ज किया गया था, स्थल का निरीक्षण किस तारीख को किसके द्वारा किया गया, क्या सुसंगत पक्षकार प्रकरण में बनाए गये थे अथवा नहीं, पक्षकारों को नोटिस/सम्मन तामील कराया गया अथवा नहीं, इश्तहार जारी किया गया अथवा नहीं, सीमांकन किस तारीख को किनके द्वारा कराया गया, सीमांकन के समय गांव में ग्रामवासी तथा पक्षकारों में कौन-कौन उपस्थित थे, सीमांकन के स्थलों में किये गये सीमांकन के फोटोग्राफ लिये अथवा नहीं, वीडियोग्राफी कराई गई अथवा नहीं, सीमांकन के स्थलों में किये गए सीमांकन के फोटोग्राफ लिये अथवा नहीं, वीडियोग्राफी कराई गई अथवा नहीं, आदेश किस तारीख को पारित किया गया, अतिक्रमण पाया गया अथवा नहीं, अतिक्रमण किस तारीख को हटाया गया, अतिक्रमण किनकी उपस्थिति में हटाया गया, पंचनामा बनाया गया, उसमें किस-किस के हस्ताक्षर हैं। अतिक्रमण हटाने की फोटोग्राफ एवं वीडियोग्राफी कराई गई अथवा नहीं।
नक्शा संशोधन, सीमांकन
कतिपय सीमांकन के प्रकरण का निराकरण इस आधार पर नहीं किया जाता है कि नक्शे में त्रुटि है। इस संबंध में पक्षकारों से आवेदन प्राप्त कर प्रकरण विचार में लेकर अभिलेखों में संशोधन कर यथोचित निर्णय पारित किया जाए।
आर.बी.सी.(6-4) के प्रकरण
शिकायतकर्ता का आवेदन किस तारीख को प्राप्त हुआ, स्वीकृत, अस्वीकृत आदेश क्रमांक/दिनांक अंकित किया जाए, अस्वीकृति की स्थिति में अस्वीकृति के स्पष्ट कारण अंकित किये जावे, स्वीकृत मुआवजा राशि का संक्षिप्त में उल्लेख किया जाए, स्वीकृत मुआवजा राशि किस तारीख को शिकायतकर्ता के किस खाते में एवं किस बैंक में जमा की गई, यदि वजट अभाव के कारण राशि शिकायतकर्ता के खाते में जमा नहीं की जा सकी है तो स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाए, यदि प्रकरण के निराकरण में लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत निर्धारित समय-सीमा के तुलना में विलंब हुआ है, तो स्पष्ट प्रतिवेदन अंकित किया जाए की कौन जिम्मेदार था एवं उसके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है।