टॉप्स सूची से बाहर करना सही फैसला: सुशील कुमार

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टारगेट ओलंपिक पोडियम (टॉप्स) योजना से बाहर किये गये भारत के एकमात्र डबल ओलिंपिक पदकधारी सुशील कुमार ने इसे सही फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि जब वह खेल से ही बाहर हैं तो सरकार से धनराशि लेने का कोई मतलब नहीं था। लंदन ओलिंपिक के कांस्य पदकधारी योगेश्वर दत्त को भी सूची से बाहर कर दिया है।

फोगाट बहनें गीता और बबीता को भी इसमें जगह नहीं दी गयी। सुशील ने इस फैसले को सहजता से स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह सही फैसला है। मेरा नाम सूची से हटा देना चाहिए था क्योंकि मैं कुश्ती में नहीं खेल रहा हूं। अगर मैं मैट पर योगदान नहीं दे रहा हूं तो मुझे किसी भी तरह का फंड नहीं दिया जाना चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘जब मैं नहीं खेल रहा हूं तो मैं किसी से भी कुछ नहीं लेना चाहता। मैं बहुत ही संतोष रखने वाला इंसान हूं और मुझे टॉप्स की सूची से हटाये जाने से कोई दिक्कत नहीं है।’ भारतीय कुश्ती महासंघ (wFI) ने 2020 तोक्यो ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए टॉप्स के अंतर्गत कोष दिये जाने के लिये खेल मंत्रालय को पहलवानों की संशोधित सूची भेजी है। इसमें संदीप तोमर (57 किग्रा), बजरंग पूनिया (65 किग्रा), जितेंद्र (74 किग्रा) शामिल हैं। महिलाओं में रितु फोगाट (45 किग्रा), विनेश फोगाट (48 किग्रा), रियो ओलंपिक की कांस्य पदकधारी साक्षी मलिक (58 किग्रा) शामिल हैं।

साक्षी, विनेश और बजरंग 2015-16 की सूची में भी शामिल थे। हालांकि साक्षी को इसमें शामिल किया गया है, लेकिन शादी के बाद उनके इस खेल में जारी रहने पर कुछ संदेह बना हुआ है। पिछले साल रियो ओलिंपिक में सुशील भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे और योगेश्वर पहले दौर में ही बाहर हो गये थे जिससे स्पष्ट हो गया था कि रियो उनका अंतिम ओलंपिक था। इसलिए सुशील और योगेश्वर का सूची से बाहर किया जाना कोई हैरानी भरा फैसला नहीं है। सुशील अब राष्ट्रीय पर्यवेक्षक बन गए हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पर्यवेक्षक की भूमिका स्वीकार कर ली है क्योंकि वह मैट पर ऐक्टिव नहीं है।

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