तुम भी खुल जाओगे दो-चार मुलक़ातों मे

0

ये हक़ीक़त है कि होता है असर बातों मे,
तुम भी खुल जाओगे दो-चार मुलक़ातों मे,

तुम से सदियों की वफाओं का कोई नाता न था,
तुम से मिलने की लकीरें थीं मेरे हाथों मे,

तेरे वादों ने हमें घर से निकलने न दिया,
लोग मौसम का मज़ा ले गए बरसातों में,

अब न सूरज न सितारे न शमां न चांद,
अपने ज़ख्म़ों का उजाला है घनी रातों मे।

Previous articleबीजेपी का स्वर्ण युग, 2019 चुनाव में पार्टी रहेगी टॉप पर – US थिंक टैंक
Next articleइस जीत को भारत-चीन की दोस्ती को समर्पित करता हूं-विजेंद्र

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here