दुकानें हाइवे से दूर हटाने पर शराब कारोबारियों ने सुप्रीम कोर्ट से मांगा और वक्त

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शराब की दुकानों के मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट से गुरुवार को कहा कि उन्हें नैशनल और स्टेट हाइवेज से अपनी दुकानें कम से कम 500 मीटर दूर ले जाने के लिए और वक्त दिया जाए। वहीं रेस्तरां और होटलों ने कहा कि उन्हें इससे जुड़े आदेश के दायरे से बाहर कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ऐसी दुकानों को राजमार्गों से कम से कम 500 मीटर दूर हटाने का आदेश दिया था।

शराब की दुकानों के मालिकों ने कोर्ट से अनुरोध किया कि या तो उनके लाइसेंस की अवधि खत्म होने तक पुरानी जगहों पर रहने दिया जाए या आदेश में ऐसा बदलाव कर दिया जाए, जिससे संबंधित राज्यों के कानून प्रभावी हो जाएं, जो अपेक्षाकृत नरम हैं और हाइवेज के 100 या 220 मीटर दूर दुकानें खोलने की इजाजत देते हैं। वहीं दूसरों ने दलील दी कि 15 दिसंबर 2016 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरी तरह असंवैधानिक है।

शराब की कुछ दुकानों के मालिकों की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कहा कि कोर्ट का आदेश असंवैधानिक है। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच से उन्होंने कहा, ‘क्या यह अदालत एक आदेश के जरिए ऐसे विषय पर नियम बनाने का राज्यों का अधिकार छीन सकती है, जो राज्य सूची में आता है?’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तो केंद्र सरकार के एक नोटिफिकेशन को एक्सटेंड भर किया था, जिसमें राज्यों को नैशनल हाइवे और स्टेट हाइवे के किनारे ऐसे नियम को लागू करने को कहा गया था।

धवन ने हालांकि कहा, ‘इस मामले में तय प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है।’ इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह आदेश ‘जनहित’ में दिया गया था। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने कहा है कि उन्होंने यह आदेश लागू कर दिया है। उन्होंने कहा कि अधिकतर राज्यों ने इस आदेश के खिलाफ अपील नहीं की है।

दिलचस्प है कि केंद्र सरकार कोर्ट के आदेश का समर्थन कर रही है, जबकि कई राज्य 500 मीटर की दूरी को घटाने और हाइवे के किनारे के होटलों और रेस्तराओं में शराब परोसने की इजाजत जारी रखने की मांग कर रहे हैं। केरल जैसे राज्यों में शराब की सभी दुकानें सरकारी हैं।

केरल की शराब दुकानों की ओर से मोदी सरकार के सबसे बड़े वकील यानी अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इन दुकानों पर 1 अप्रैल 2017 से नियम लागू न किया जाए। उन्होंने कहा कि पहाड़ी और भीड़भरे इलाकों के लिए नियम बदलकर दूरी 500 मीटर से कम कर दी जाए।

इससे पहले उन्होंने कहा था कि यह आदेश राज्यों के राजमार्गों के किनारे के होटलों और रेस्टोरेंट्स पर लागू नहीं होता। कुछ राज्यों ने उनकी सलाह मान ली है। हालांकि कोर्ट के आदेश में किसी भी बदलाव का विरोध करने वाले राज्यों का कहना है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है।

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