नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के एलान का असर जितना कालेधन पर पड़ा है उससे कई गुना ज्यादा आतंकियों पर पड़ा है। नोटबंदी से कश्मीर और देश के दूसरे हिस्सों में आतंकवाद पर भी जोरदार वार हुआ है। जाली नोट छापने वाली दो अहम पाकिस्तानी प्रेस को मजबूरन बंद किया गया है। नोटबंदी का राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़े असर की पड़ताल कर रही जांच एजेंसियों ने ये जानकारियां केंद्र सरकार से साझा की हैं।खबर के मुताबिक दिसंबर में घाटी में आतंकवाद से जुड़ी हिंसा की घटनाओं में 60 फीसदी की कमी आई है। जो पहली बार हुआ है और अपने आप में एक बड़ी बात है। वहीं, धमाकों की बात करें तो इस दिसबंर में केवल एक धमाका हुआ है।
इसके साथ ही नोटबंदी की वजह से नक्सली गतिविधियों पर भी चोट पहुंची है। वहीं, भारत में हवाला एजेंट्स के कॉल ट्रैफिक में भी 50 फीसदी की कमी आई है। कुछ सीनियर अफसरों ने खुद इस बात का खुलासा किया है, उनका कहना है कि नोटबंदी के कारण और नए नोटों की डिजाइन के कारणसीमा के पार भी जाली नोट के धंधे पर बुरा असर पड़ा है। वहीं, एक अफसर ने बताया, ‘पाकिस्तान अपने क्वेटा स्थित सरकारी प्रेस और कराची के एक प्रेस में जाली भारतीय करंसी छापता रहा है। नोटबंदी के बाद, पाकिस्तान के पास जाली नोटों की दुकान बंद करने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा। एजेंसियों की पड़ताल में यह पता चला है।
जांच के मुताबिक, एजेंसियों की पड़ताल के निष्कर्षों के हवाले से अफसरों ने बताया, ‘छत्तीसगढ़ के बस्तर के अलावा झारखंड में बड़े माओवादी नेता पुराने नोटों को नए नोटों से बदलवाने के लिए लोगों की मदद मांगते नजर आए। उन पर बड़े पैमाने पर सरेंडर करने का दबाव है। नोटबंदी की वजह से भ्रष्ट सरकारी अफसरों की गतिविधि कम हुई है। इसके अलावा, लैंड माफियाओं द्वारा कृत्रिम तरीके से महंगे किए गए रियल एस्टेट मार्केट में भी कीमतों में सुधार हुए हैं। जांच एजेंसियों ने पाया, ‘नोटबंदी की वजह से, नक्सली संगठनों द्वारा हथियारों की खरीद-फरोख्त पर भी असर पड़ा। बहुत सारे नक्सलियों ने नॉर्थ ईस्ट छोड़ दिया और अपनी सेफ्टी के लिए सीमा के दूसरी ओर चले गए। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है पीएम के आतंकवाद को नोटबंदी के जरिए कम करने का कदम सही साबित हो रहा है।