अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का स्पेसक्राफ्ट ‘जूनो’ पांच साल का लंबा सफर तय कर जूपिटर (बृहस्पति) की कक्षा में पहुंच गया है. जूनो के चीफ साइंटिस्ट स्कॉट बोल्टन ने कहा कि यह नासा का सबसे मुश्किल काम था.
जूपिटर की कक्षा में पहुंचने के लिए जूनो ने 5 वर्षों में करीब 280 करोड़ किलोमीटर का सफर तय किया है. जूनो को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 5 अगस्त 2011 को लांच किया था.
जूनो यान की एवरेज स्पीड 38 हजार किलोमीटर प्रति घंटा है. लेकिन जूपिटर के करीब पहुंचने पर इसकी रफ्तार 2 लाख 66 हजार किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी.
नासा का जूनो स्पेसक्राफ्ट बृहस्पति ग्रह की बनावट, वहां के मौसम, चुंबकीय क्षेत्र की जानकारी पृथ्वी की ओर ट्रांसमिट करेगा. जूनो यह भी पता लगाने की कोशिश करेगा कि क्या गैस जायंट माने जाने वाले जूपिटर प्लैनेट की गैस की परत के नीचे कोई पत्थरीला केंद्र है या नहीं. फरवरी 2018 में यह यान ग्रह की खोज पूरी कर लेगा.
जूपिटर के बारे में जरूरी बातें
1. बृहस्तपित यानी जूपिटर हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है.
2. ग्रह पर गैस की अधिकता की वजह से इसे ‘गैस जायंट’ भी कहा जाता है.
3. रोमन सभ्यता ने अपने देवता जूपिटर के नाम पर इसका नाम रखा.
4. जूपिटर एक चौथाई हीलियम के साथ मुख्य रूप से हाईड्रोजन से बना हुआ है.
5. यह चार गैसीय ग्रहों में (सैटर्न, यूरेनस, नेप्च्यून, जूपिटर) में सबसे बड़ा है.