पैरा खिलाड़ियों के साथ होता है भेदभाव: पारुल डी परमार

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पैरा खिलाडिय़ों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करना आवश्यक है। हम भी स्नेह और सम्मान के हकदार हैं, विश्व में होने वाली विभिन्न खेलों प्रतियोगिताओं में भारत के लिए पदक जीतते हैं। यह कहना है वर्ष 2002 से पैरा बैडमिंटन की विश्वचैंपियन पारुल डी परमार का।

अर्जुन एवार्डी पारुल रविवार को सीबीएसई की राष्ट्रीय बैडमिंटन प्रतियोगिता के शुभारंभ अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में सनबीम लहरतारा आई थी। उन्होंने बताया कि रियो पैरालंपिक में पैरा एथलीटों ने पदक जीतो तो देशभर में उनका सम्मान हुआ। अच्छी बात रही लेकिन इसमें बैडमिंटन स्पर्धा नहीं थी, वर्ष 2020 में टोक्यो पैरालंपिक में पैरा बैडमिंटन को शामिल किया गया है। इसमें भारतीय टीम 10 पदक जीतेगी, जिनमें से सात स्वर्ण पदक होंगे। आज की तारीख में पैरा बैडमिंटन में भारतीय खिलाडिय़ों को सबसे दमदार माना जाता है।
पारुल ने बताया कि पिछले माह सिंगापुर में एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप आयोजित हुई थी, उसमें भारतीय टीम ने 10 पदक जीते थे। हम सरकार से केवल यहीं चाहते है कि हमें अभ्यास के लिए उसी तरह के सुविधा चाहिए जैसे कि अन्य खेलों के खिलाडिय़ों को मिलती है। अभी हमें अपने खर्च पर अभ्यास करना पड़ता है। पारुल के साथ आए अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मार्क धर्मयी ने बताया कि सरकार को हम खिलाडिय़ों से भी समय-समय पर सलाह लेनी चाहिए ताकि वह हमारी समस्यायों को समझ सके। टोक्यो पैरालंपिक के लिए भारतीय बैडमिंटन पूरी तरह से अभी से लगे हुए हैं। दोनों खिलाडिय़ों का कहना है कि अपंगता कोई अभिशाप नहीं है। आजमगढ़ के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने पिछले माह सिंगापुर में एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत कर यह साबित कर दिया था कि मन में बस उमंग होनी चाहिए।

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