प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान समिट में हिस्सा लेने के लिए मनीला में हैं. पीएम मोदी ने रविवार को यहां पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत कई अन्य प्रमुख नेताओं से मुलाकात की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को फिलीपींस के लॉस बनोस के इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट का दौरा किया. आपको बता दें कि इसका एक सेंटर जल्द ही वाराणसी में खुलेगा.
सोमवार को पीएम मोदी यहां फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतर्ते के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे. इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है, दोनों के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी.
इंडो-पैसेफिक पर अहम बैठक
आसियान के इतर भारत, आस्ट्रेलिया, अमेरिका तथा जापान के अधिकारियों ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्रस्तावित चार-पक्षीय गठजोड़ के तहत सुरक्षा सहयोग को आकार देते हुए यहां पहली आधिकारिक बैठक की, जिसमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र (इंडो-पैसेफिक) को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने एवं साझा हितों को बढ़ावा देने से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा की गई. गौरतलब है कि इस रणनीतिक क्षेत्र में चीन अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है.
बैठक के बाद इसमें शामिल सभी चार देशों ने अपने अपने बयान जारी किये, जिसमें भारत-प्रशान्त महासागरीय क्षेत्र पर चर्चा को प्रमुख रूप से शामिल किया गया और सभी देशों ने नियम आधारित आदेश को बरकरार रखने और क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान सुनिश्चित करने के लिए काम करने का संकल्प जताया.
क्यों अहम है ये बैठक?
दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल के बीच चारों देशों को मिलाकर एक समूह बनाने का कदम उठाया जा रहा है. चीन दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर दावा करता है जबकि वियतनाम, फिलीपन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान इसका विरोध कर रहे हैं. अमेरिका विवादित दक्षिण और पूर्वी चीन सागर पर दावे को लेकर चीन पर अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है.
आसियान का महत्व
गौरतलब है कि आसियान समूह में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रूनई, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम शामिल है. 10 सदस्यीय आसियान और भारत की कुल आबादी 1.85 अरब है, जो वैश्विक आबादी का एक चौथाई हिस्सा है. इनकी कुल जीडीपी 3800 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है. वहीं भारत और आसियान के बीच कारोबार वर्ष 2015-16 में 65.04 अरब डॉलर था, जो दुनिया के साथ भारत के कुल कारोबार का 10.12 प्रतिशत था.
इस 10 सदस्यीय आसियान सदस्य देशों के अलावा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं.