बाल विवाह के आरोपियों को दिया जायेगा दण्ड: श्री आशीष जैन

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 टीकमगढ़- ईपत्रकार.कॉम |महिला सशक्तिकरण कार्यालय द्वारा आज लाडो अभियान अंतर्गत सेवा प्रदाताओं से संबंधित जिला स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई। कार्यशाला में सेवा प्रदाता, जनप्रतिनिधि, मीडिया प्रतिनिधि, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

बाल विवाह एक अभिशाप है, सब मिलकर इसका बहिष्कार करें

कार्यशाला में जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी श्री दिनेश दीक्षित ने कहा कि बाल विवाह एक अभिशाप है, सब मिलकर इसका बहिष्कार कर्रें। उन्होंने कहा कि बाल विवाह की इस सामाजिक बुराई को दूर करने के लिये सभी का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह से अनेक समस्यायें उत्पन्न होती है। उन्होंने बताया कि इससे कम उम्र में गर्भाधान के मामलों में वृद्धि, समय से पहले प्रसव की अधिक घटनायें, माताओं की मृत्यु दर में वृद्धि, गर्भपात और मृत प्रसव की दर में वृद्धि, शिशु मृत्यु दर और अस्वस्थता दर में वृद्धि, घरेलू हिंसा और लिंग आधारित हिंसा में वृद्धि तथा बच्चों द्वारा पढ़ाई छोड़ने की घटनाओं में वृद्धि होती है। साथ ही बच्चों के अवैध व्यापार और लड़कियों की बिक्री तथा बाल मजदूरी और कामकाजी बच्चों का शोषण जैसी घटनायें सामने आती हैं। इसके साथ ही लड़कियों पर समय से पहले घरेलू कामकाज की जिम्मेदारी आ जाने से उनका विकास अवरूद्ध होता है।
श्री दीक्षित ने बताया है कि समय रहते शिकायत स्वयं करने या रिश्तेदार, दोस्त आदि द्वारा मजिस्ट्रेट के पास दर्ज करने पर आदेश मिलने पर पुलिस ऐसे विवाह को रोकने की कार्रवाई करेगी और दोषी को सजा या जुर्माना हेतु केस दर्ज किया जायेगा।

बाल विवाह के आरोपियों को दिया जायेगा दण्ड

इस अवसर पर सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग श्री आशीष जैन ने बताया कि बाल विवाह के लिये बाल विवाह के आरोपियों को दो साल तक का कठोर कारावास या एक लाख रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों एक साथ हो सकते हैं। इसमें बाल विवाह कराने वाले माता-पिता, रिश्तेदार, विवाह कराने वाला पंडित, काजी आदि भी हो सकता है, जिसको तीन महीने तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। बाल विवाह कानून के तहत किसी महिला को कारावास की सजा नहीं दी जा सकती। माता पालक को भी इस जुर्म में कैद नहीं किया जा सकता केवल जुर्माना भरना पडे़गा। बालक या बालिका जिसका विवाह हुआ हो और चाहे इसमें उसकी सहमति हो या न हो।

बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की दी जानकारी

कार्यशाला के प्रारंभ में सहायक संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग श्री आशीष जैन ने बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, बाल विवाह के लिये दोषी, बाल विवाह के लिये दण्ड, बाल विवाह की शिकायत तथा बाल विवाह निषेध अधिकारी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। श्री जैन ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह वह है जिसमें लड़के या लड़की की कम उम्र में शादी की जाती है। यह प्रथा पुराने जमाने से हमारे देश में चली आ रही है। बच्चा एक ऐसा व्यक्ति है जो अभी 18 साल का नहीं हुआ है। एक ऐसी लड़की का विवाह जो 18 साल से कम उम्र की है या ऐसे लड़के का विवाह जो 21 साल से कम उम्र का है, बाल विवाह कहलायेगा और इसे बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 द्वारा प्रतिबंधित किया गया है।
बाल विवाह के लिये जिस बालक या बालिका का विवाह हो उसके माता-पिता/संरक्षक अथवा वे व्यक्ति जिनके देखरेख में बालक/बालिका है, वह व्यक्ति जो बाल विवाह को सम्पन्न/संचालित करे अथवा दुष्प्रेरित करें। जैसे बाल विवाह कराने वाला पंडित, काजी आदि। वह व्यक्ति जो बाल विवाह कराने में शामिल हो या ऐसे विवाह करने के लिये प्रोत्साहित करे, निर्देश दे या बाल विवाह को रोकने में असफल रहे अथवा उसमें सम्मिलित हो। जैसे बाल विवाह में शामिल बाराती, रिश्तेदार आदि तथा वह व्यक्ति जो मजिस्ट्रेट के विवाह निषेध संबंधी आदेश की अवहेलना करें, इसके दोषी माने जायेंगे।

बाल विवाह की शिकायत

जिस व्यक्ति का बाल विवाह करवाया जा रहा है उसका कोई रिश्तेदार, दोस्त या जानकार बाल विवाह के बारे में थाने जाकर पूरी जानकारी दे सकता है। इस पर पुलिस पूछताछ करके मजिस्ट्रेट के पास रिपोर्ट भेजेगी। मजिस्ट्रेट के कोर्ट में केस चलेगा और बाल विवाह साबित होने पर अपराधी व्यक्तियों को सजा दी जायेगी।

बाल विवाह निषेध अधिकारी

इस कानून के तहत राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी, अक्षय तृतिया जैसे सामूहिक बाल विवाहों के अवसर पर जिला मजिस्ट्रेट के पास बाल विवाह निषेध अधिकारी की शक्तियां दी जाती हैं। आवश्यकता पड़ने पर राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करके बाल विवाह निषेध अधिकारी को पुलिस अधिकारी की शक्तियां दी जाती हैं। बाल विवाह निषेध कानून का पालन करने के उद्देश्य से उठाये गये किसी कदम के लिये बाल विवाह निषेध अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाई नहीं की जा सकती।
कार्यशाला में मीडिया प्रतिनिधियों एवं जनप्रतिनिधियों ने बाल विवाह के संबंध में अपने विचार व्यक्त किये तथा बाल विवाह रोकने के उपायों को और अधिक सख्ती से लागू करने की बात कही। साथ ही शौर्या दलों को और अधिक सक्षम बनाने की बात कही।

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