भारतीय संस्कृति का प्रवाह अविरल बहता रहेगा- स्वामी अखिलेश्वरानंद

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सागर  – ईपत्रकार.कॉम |आदि गुरू शंकराचार्य के अतुलनीय योगदान तथा ओंकारेश्वर में आदि गुरू शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा निर्माण हेतु धातु संग्रहण एवं जन-जागरण के लिये प्रदेश भर में एकात्म यात्रा आरंभ की गई है। यह यात्रा रीवा के पचमठा से होते हुए सागर जिले में प्रवेश की। यात्रा के दूसरे दिन मालथौन पुरानी मण्डी से होते हुए खुरई पहुंची जहां जनसंवाद का कार्यक्रम महाकाली माता मंदिर परिसर में सम्पन्न हुआ। परिसर में आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतीकात्मक चरण पादुका एवं भारतीय संस्कृति के प्रतीक ध्वज को देखकर श्रद्धालु द्वारा जयघोष किया गया। इसके अलावा माताओं, बहनों द्वारा पुष्प वर्षा करते हुये स्वागत किया गया। बैण्ड जयघोष के साथ इसे परिसर में लाया गया। एकात्म यात्रा के मार्गदर्शक स्वामी अलिखलेश्वरानंद एवं अन्य संत परिसर पहुंचे। दीप प्रज्जवलन, चरण पादुका पूजन कर जनसंवाद कार्यक्रम शुरू किया गया। धर्मावलम्बियों का स्वागत जनप्रतिनिधियों द्वारा किया गया। एकात्म यात्रा में श्री सुल्तान सिंह शेखावत असगंठित कर्मकार संगठन अध्यक्ष के द्वारा एकात्म यात्रा के उद्देश्य एवं महत्व पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया। तत्पश्चात् स्वामी अखिलेश्वरानंद द्वारा वक्तव्य में बताया कि अद्वैत वेदांत दर्शन में प्रतिपादित जीव, जगत एवं जगदीश के एकात्म बोध के प्रति जन जागरण यात्रा का उद्देश्य है। ओंकारेश्वर को विश्वस्तरीय वेदांत दर्शन केन्द्र के रूप में विकसित करना है। भारत की आध्यात्मिक शक्ति के अविरल प्रवाह को सशक्त रूप में प्रवाहमान बनाये रखने में आदि गुरू शंकराचार्य की महती भूमिका रही है। उनके पावन स्मरण को जीवंत रखने के लिये एकात्म यात्रा को आरंभ किया गया है।

इस यात्रा के समन्वयक श्री शिव चौबे स्टेट माइनिंग कारपोरेशन एवं जन अभियान परिषद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसमें जिला प्रशासन सागर एवं जनप्रतिनिधियों का सहयोग बेहतर रहा। एकात्म यात्रा के बारे में बताते हुये कहा कि इस यात्रा का संकल्प मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान हुआ था। साधु, संत एवं अन्य लोगों से विचार विमर्ष कर नर्मदा के महत्व को संपूर्ण विश्व में बताने के लिये नर्मदा सेवा यात्रा की शुरूआत की गई। मुख्यमंत्री श्री चौहान के द्वारा शुरू की गई इस पहल को सभी का स्नेह मिला और यह यात्रा सफल रही। मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी तट पर 6 करोड़ पौधे लगाये गयें।

स्वामी अखिलेश्वरानंद ने आशीर्वचन में कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान जनआकांक्षाओं का मुखर प्रतिनिधित्व करने में सफल रहे हैं। इस एकात्म यात्रा का संकल्प लेकर उन्होंने आदि गुरू शंकराचार्य के प्रति प्रदेश की जनता की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित की है। एकात्म यात्रा का जिस हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया जा रहा है वह अद्भुत है। इसके लिये उन्होंने सभी श्रद्धालुजनों का आभार व्यक्त किया। 8 वर्ष के बालक का गुरू की खोज में ओंकारेश्वर आना हमारे लिये गर्व की बात है। सम्पूर्ण विश्व को एक सूत्र में बांधने का दर्शन अपने आप में प्रासंगिक है। आज जहां लोग एक दूसरे से सामाजिक कुरीतियों एवं पाखण्ड के आधार पर अलग हो रहे है उन्हें एक मंच पर लाने की आवश्यकता है। लोगों के बीच बनी विभाजक रेखा को पाटने काम आदि गुरू शंकराचार्य के दर्शन में प्रतिबिम्बित होता है।

भारतीय संस्कृति को बनाये रखने के लिये भारत में पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण में चार मठों की स्थापना की गई। अद्वैत सिद्धान्त का संदेश देकर आदि गुरू शंकराचार्य ने सभी को एकजुट होने कहा। भारत विश्व गुरू की भूमिका का निर्वहन सदैव करेगा। इन विचारों को शंकराचार्य ने पदयात्रा के माध्यम से सभी वर्गों में प्रसारित किया। यही वजह है कि आज भी विश्व के अन्य देश भारतीय संस्कृति के सामने नतमस्तक हो रहे हैं। एकजुट होने का संकल्प स्वामी अखिलेश्वरानंद द्वारा मंदिर परिसर में सभी दिलाया। तत्पश्चात् ध्रुवा संस्कृत वैण्ड द्वारा संस्कृत में मध्यप्रदेश गान की शानदार प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर श्री रामनारायण दास महाराज, लखन सिंह राजपूत अन्य जनप्रतिनिधिगण, एसडीएम खुरई श्री अरूण कुमार सिंह अन्य अधिकारीगण एवं पत्रकार बंधु व श्रद्धालुजन उपस्थित थे।

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