महामृत्युंजय का पाठ सच्चे मन से करने वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है

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हर व्यक्ति अमर होना चाहता है। और अमर होना इतना आसान नहीं है, क्योकि इस पृथ्वी पर जो जन्मा है, उसकी मौत निश्चित है। लेकिन हमारे पौराणिक ग्रंथों में एक ऐसे मंत्र का उल्लेख मिलता है जिसका जप करने पर मृत्यु को टाला जा सकता है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है।

ये है वो दिव्य मंत्र

ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

मंत्र की महत्ता

इस मंत्र को महामृत्युंजय मंत्र कहते हैं। महामृत्युंजय का अर्थ होता है मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र। महामृत्युंजय मंत्र यजुर्वेद के रूद्र अध्याय स्थित एक मंत्र है। इसमें शिव की स्तुति की गई है। यह मंत्र ऋग्वेद में भी उल्लेखित है। महामृत्युंजय मंत्र को रुद्र मंत्र भी कहा जाता है। इसे मंत्र को मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है।

महामृत्युंजय मंत्र में 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 देवताओं के रूप हैं। इन 33 देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन देवताओं की शक्तियां महामृत्युंजय मंत्र से समाई हुई है। जिससे महा महामृत्युंजय का पाठ सच्चे मन से करने वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है।

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