मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना होगी लागू

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मुख्ममंत्री भावांतर भुगतान योजना, कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर्स योजना, किसानों की संतानों के लिए कृषक उद्यमी योजना लागू की जायेगी। उन्होंने डिफाल्टर किसानों के लिये समाधान योजना और मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना लागू किये जाने की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले तीन माह में सभी अविवादित नामांतरण, बंटवारे और सीमांकन प्रकरण निराकृत हो जायेंगे। इसके बाद तीन माह से अधिक पुराने प्रकरण की जानकारी देने वाला पुरस्कृत होगा! संबंधित राजस्व अधिकारी के विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई होगी। श्री चौहान आज आकाशवाणी से प्रसारित कार्यक्रम “दिल से” में किसानों के साथ सीधी बात कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने बताया कि भावांतर योजना के द्वारा किसानों को उनके उत्पाद का लाभकारी मूल्य मिलना सुनिश्चित हो जायेगा। इस योजना में फसल गिरदावरी मोबाइल एप के माध्यम से प्राप्त संपूर्ण डाटा संकलित किया जायेगा। इससे किस किसान ने कौन सी फसल कितने रकबे में बोई, यह पता चलेगा और औसत उत्पादन की गणना कर समर्थन मूल्य और विक्रय मूल्य के अंतर की राशि को सीधे किसानों के खातों में डालने की व्यवस्था होगी। किसानों को राजस्व मामलों सीमांकन, नामांतरण और बँटवारे आदि में विलम्ब नहीं हो इसके लिए रेवन्यू केसेस मॉनीटरिंग सिस्टम की जानकारी देते हुये श्री चौहान ने बताया कि अगले तीन माह में सभी अविवादित नामांतरण, बंटवारे और सीमांकन प्रकरण निराकृत हो जायेंगे। इसके बाद तीन माह से अधिक पुराने ऐसे लंबित प्रकरणों की जानकारी देने वालों को नगद पुरस्कार मिलने और पुरस्कार की राशि दोषी अधिकारी कर्मचारी से वसूलने की बात कही। उन्होंने बताया कि शीघ्र ऐसी व्यवस्था की जायेगी जिसमें प्रति वर्ष खसरा की नकल की प्रतिलिपि नि:शुल्क किसानों को उपलब्ध करवाई जायेगी। उन्होंने बताया कि कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर्स योजना शीघ्र प्रारंभ की जायेगी जिसमें युवाओं को 25 लाख रूपये के केन्द्र की स्थापना पर 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। इन केन्द्रों में किसान अपने कृषि उद्यानिकी उत्पाद लाकर किराये पर उनकी क्लीनिंग, ग्रेडिंग, पैकिंग और मूल्य संवर्द्धन करवा सकेंगे। किसानों की संतानों के लिए कृषक उद्यमी योजना शीघ्र शुरू की जा रही है जिसमें स्वरोजगार के लिए 10 लाख से 2 करोड़ रूपये का ऋण सरकार की गारंटी पर मिलेगा। इसमें 15 प्रतिशत अनुदान तथा 5 वर्षों तक 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान की भी व्यवस्था की गई है।

श्री चौहान ने बताया कि किसानों की आय को दोगुना करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को प्राप्त करने का रोडमैप तैयार कर लिया है जिसे हर जिले के किसानों के साथ साझा किया जा रहा है। इसमें पाँच बिन्दुओं कृषि लागत में कमी, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि, कृषि विविधीकरण, उत्पादन का लाभकारी मूल्य और कृषि के जोखिम अथवा आपदाओं में बेहतर राहत की व्यवस्था करने पर मुख्य रूप से ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि आय को दोगुना करना कोई कल्पना नहीं है।

बुरहानपुर के गाँव हैदरपुर के श्री प्रकाश जावले ने खेती की सही पद्धति, माइक्रो न्यूट्रेंट आदि का उपयोग कर एक एकड़ सोयाबीन का उत्पादन 5 से 7 क्विंटल कर लिया। गन्ने में ड्रिप फर्टीगेशन और एसएसआई पद्धति से उत्पादन 40 से 53 टन कर लिया। इस मॉडल से खेती कर प्रति एकड़ 62 हजार रूपये के लाभ को उन्होंने एक लाख रूपये कर लिया है। इसी तरह छिंदवाड़ा जिले के पांढ़ुर्ना के गांव तिगांव के श्री मधुसूदन टोनपे, सीधी जिले के गांव उपनी के श्री हरीलाल जायसवाल ने हाईटेक सब्जी के उत्पादन से, उज्जैन के गांव माकड़ोन के श्री हरीश पाटीदार ने पॉली हाउस में जैविक पान की खेती से, आगर जिले के गांव नलखेड़ा के श्री बद्रीलाल धाकड़ ने एक हेक्टेयर के बगीचे में 600 क्विंटल संतरे का उत्पादन कर लागत का 6 गुना तक बढ़ाने की जानकारी दी। उन्होंने खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए सरकार के प्रयासों की भी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि किसानों को सस्तीदर पर कृषियंत्र किराये पर उपलब्ध करवाने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटरों की स्थापना और ग्रामीण युवाओं को उनसे जोड़ा गया है। यह भी बताया कि मिट्टी की जाँच की व्यवस्था सभी विकासखण्डों में करवाई जा रही है ताकि जाँच के लिये किसानों को ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े। मुख्यमंत्री कृषक सहकारी ऋण सहायता योजना के द्वारा खाद बीज के लिए माइनस 10 प्रतिशत पर कर्ज दिया जाता है। साहूकार पैसों की वसूली के लिए जोर जबरदस्ती नहीं कर सके, इसके उचित प्रबंध किये गये हैं। साथ ही साहूकार मूलधन से अधिक ब्याज नहीं ले सके, इसके लिये कानून में संशोधन की पहल की गई है। संशोधित प्रस्ताव राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिये भेजा गया है।

मुख्यमंत्री ने किसानों को वैज्ञानिक आधार पर बीज दर अनुसार बुवाई करने, अरहर की धारवाड़ पद्धति से, धान की श्री पद्धति से, रिज-फरो पद्धति से सोयाबीन की खेती करने, अंतवर्तीय फसलों की खेती करने का परामर्श दिया। श्री चौहान ने बताया कि अंतवर्तीय फसलें किसानों को प्राकृतिक आपदा के समय सुरक्षा देती है। उन्होंने खेती के साथ सहायक व्यवसाय के द्वारा अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिये किसानों को प्रेरित किया। पशुपालन को लाभदायक बनाने के लिये आचार्य विद्या सागर गौ संवर्धन योजना की जानकारी देते हुये मुख्यमंत्री ने बताया कि 10 लाख रुपये तक की इकाई के लिये ढ़ाई लाख रूपये के अनुदान की व्यवस्था है। विगत दिनों प्याज के मूल्यों में आई गिरावट का उल्लेख करते हुये श्री चौहान ने बताया कि भविष्य में प्याज ठीक मूल्य पर बिके, इसके लिये प्याज के भंडारण में मदद की योजना तैयार की गई है जिसमें किसानों को 50 मी. टन क्षमता वाले भंडार गृह बनाने पर 50 प्रतिशत पौने दो लाख रूपये अनुदान राशि के रूपये मिलते हैं। उन्होंने खरपतवार नियंत्रण की दृष्टि से मल्चिंग को बढ़ावा देने फार्म पॉण्ड की प्लास्टिक लाइनिंग योजना, सोलर ड्रायर योजना और समन्वित कीट प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिये जाने की बात कही। दूध उत्पादकों को उनके दुग्ध उत्पादक का उचित मूल्य दिलाने की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुये मुख्यमंत्री ने बताया कि तीन हजार दूध संकलन केन्द्रों से प्रतिदिन एक लाख किलो दूध एकत्रित हो रहा है। प्रदेश में 14 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन द्वारा राज्य देश में चौथे स्थान पर है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों पर आई विपदाओं के विभिन्न प्रसंगों को उल्लेख करते हुये कहा कि सरकार सदैव उनके साथ रही है। विगत दिनों दलहन फसलों और प्याज के मंडी में प्रचलित दरों में गिरावट का उल्लेख करते हुये उन्होंने बताया कि सरकार के प्रयासों से किसानों को लगभग एक हजार करोड़ रूपये से अधिक की आय प्राप्त हुई है। सरकार द्वारा किसानों को प्राकृतिक और आकस्मिक आपदाओं के विरूद्ध सुरक्षा कवच प्रदाय किये जाने की जानकारी देते हुये मुख्यमंत्री कृषक जीवन कल्याण योजना में मृत्यु पर 4 लाख रूपये की, स्थाई नि:शक्ता पर एक लाख और अस्थाई पर 50 हजार रूपये देने और सिंचित फसल की 50 प्रतिशत से अधिक क्षति होने पर 26 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर राहत दिलवाने के विषय में बताया। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आपदा की स्थिति में ऋण वसूली रोक दी जाती है। ऋण का ब्याज सरकार भरती है। लंबित होने पर भी अगले वर्ष ऋण दिया जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने के लिये प्रधानमंत्री श्री मोदी का आभार ज्ञापित करते हुये बताया कि राज्य में 50 लाख किसानों को इससे जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में देश का सबसे बड़ा फसल बीमा दावा भुगतान राज्य में किया गया था। खरीफ 2016 की फसल बीमा योजना के एक हजार 880 करोड़ रूपये के दावों का भुगतान भी अगस्त माह में कर दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के प्रयासों तथा निर्माणाधीन और स्वीकृत योजनाओं का विवरण देते हुये बताया कि वर्ष 2025 तक 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचित कर दिया जाएगा। इसी तरह नर्मदा के जल से मालवा में 6,50,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा देने की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि 4,47,000 हेक्टेयर सैंच्य क्षेत्र को केन-बेतवा में शामिल करवाने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी के पर ड्राप मोर क्राप के सिद्धांत को क्रियान्वित करने के संकल्प को दोहराते हुये बताया कि प्रेशर से सिंचाई के लिये जल उपलब्ध करवाने की व्यवस्था 44 परियोजनाओं के 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है। ड्रिप इरीगेशन से उद्यानिकी फसलों की खेती करने के लिए किसानों को बधाई देते हुये बताया कि इस पद्धति से 40 से 60 प्रतिशत पानी कम लगता है। उत्पादन भी 10 से 30 प्रतिशत बढ़ जाता है। इसके साथ ही सिंचाई पंपों के अस्थाई कनेक्शनों को स्थाई पंप कनेक्शन में परिवर्तित करने के लिए मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पंप कनेक्शन योजना की जानकारी दी जिसमें फ्लेट रेट पर 5 लाख कृषि पंपों को स्थाई कनेक्शन दिये जाना है। साथ ही किसानों के समक्ष बिजली की रीडिंग लेकर वास्तविक क्षमता अनुसार बिल निर्धारण व्यवस्था के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि 5 हॉर्स पावर के विद्युत पंप पर सालाना 31 हजार की लागत आती है जिसमें से किसानों को मात्र 7 हजार रूपये ही देने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में विद्युत अधोसंरचना का विकास नहीं हुआ है, उन क्षेत्र में मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना लागू की जायेगी जिसमें 3 लाख 41 हजार रूपये की लागत वाला 3 हॉर्स पावर का सोलर पंप मात्र 34 हजार रूपये में मिलेगा जबकि 5 हॉर्स पावर का 4 लाख 68 हजार रूपये का पंप सिर्फ 68 हजार में मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने किसानों को लाभकारी मूल्य दिलवाने की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुये बताया कि एक हजार करोड़ रूपये की लागत से मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की गई है। जो बाजार में हस्तक्षेप कर किसानों को उनकी उपज का उचित दाम दिलवायेगा। इसके साथ ही कृषि उत्‍पाद लागत एवं विपणन आयोग का गठन किया गया है जो फसलों की कीमतें गिरने पर हस्तक्षेप करेगा। इसी तरह उर्वरक अग्रिम भंडारण योजना द्वारा खाद के अग्रिम भंडारण के लिए प्रेरित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि अग्रिम उठाव की प्रक्रिया में ब्याज का भुगतान भी किसानों को नहीं करना पड़ेगा। रबी एवं खरीफ फसलों के लिए एक मुश्त अथवा अलग-अलग ऋण की व्यवस्था करने तथा डिफाल्टर किसानों को जीरो प्रतिशत पर कर्ज उपलब्ध करवाने के लिए समाधान योजना लागू करने की जानकारी मुख्यमंत्री ने दी। किसान अपनी फसले सीधे उपभोक्ता को बेच कर अधिक लाभ कमा सके, इसके लिए सभी नगरीय निकायों में किसान बाजार बनवाने की बात कही।

मुख्यमंत्री ने किसानों से चर्चा में बताया कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार है। अच्छी खेती से प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। किसान के पास पैसा आता है तो वो बाजार जाता है जिससे व्यापारी की दुकान चलती है। दुकान का सामान कारखाने से आता है। कारखाने के चलने से पूंजी का निर्माण होता है। रोजगार के नये अवसर बनते हैं। इसीलिये यदि फसल अच्छी नहीं होती तो पूरी अर्थव्यवस्था ठप हो जाती है। इसीलिये खेती सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने खेती किसानी से जुड़े विषयों पर चर्चा की शुरूआत वर्षा की स्थिति से की। वर्षा की स्थिति बताते हुये मुख्यमंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया कि किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा से निपटने की आकस्मिक योजना सरकार ने बना ली है। किसानों की मेहनत से प्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी राज्य है। पाँच वर्षों से कृषि कर्मण पुरस्कार मिल रहा है, कृषि विकास दर पिछले 5 वर्षों में औसतन 20 प्रतिशत रही है। दलहन, तिलहन, चना, मसूर, सोयाबीन, अमरूद, टमाटर और लहसुन के उत्पादन में प्रदेश देश में पहले नम्बर पर है। इसी तरह गेहूँ, अरहर, सरसों, आँवला, संतरा, मटर और धनिये के उत्पादन में देश में दूसरे नम्बर पर है। मात्र एक दशक की अवधि में राज्य का कृषि उत्पादन ढ़ाई गुना बढ़ गया है।

बलराम जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ सरकारी योजनाओं, उन्नत खेती को लाभकारी बनाने की दिशा में किसानों द्वारा किये जाने वाले कार्यों, सरकारी प्रयासों और परिणामों पर दिल खोलकर संवाद किया। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि उनका परिवार सुखी रहे, इसके लिए सरकार संकल्पित है। अन्नदाता को किसी भी संकट और परेशानी से बचाने के लिये प्रतिबद्ध है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि सरकार की योजनाओं को अपनी योजना मानकर उनका पूरा लाभ लें। उन्होंने कृषि विभाग, शोध संस्थाओं, शैक्षणिक संगठनों आदि से मिलकर कार्य करने का आग्रह किया है।

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