हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा चार राज्यों में अपनी सरकार बनाने में सफल रही। अब उसकी नजर दक्षिण के राज्य कर्नाटक पर गड़ी हैं। कांग्रेस के पास फिलहाल यही इकलौता बड़ा राज्य मौजूद है, जिसके किले को बचाने की जिम्मेदारी राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के कंधों पर है। दिलचस्प बात तो ये है कि सिद्धारमैया राज्य में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए उसी ‘फॉर्मूले’ पर काम करने की कोशिश कर रही है, जिसके सहारे भाजपा ने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत हासिल किया है।
बुधवार को पेश किए गए कर्नाटक सरकार के बजट में सिद्धारमैया ने उन तमाम चीजों पर खास फोकस रखा है, जिन्हें यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी की बड़ी जीत की वजह बताया जा रहा है। हालांकि सिद्धारमैया के बजट में हमेशा महिलाओं, पिछड़ी जातियों, दलित और अल्पसंख्यकों पर फोकस रहा है, पर इस बार के बजट में इनपर पहले के मुकाबले ज्यादा ध्यान दिया गया है।
सिद्धारमैया ने उज्ज्वला योजना की तर्ज पर अपने बजट में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले दो लाख SC/ST परिवारों को LPG कनेक्शन देने की घोषणा की है। इस घोषणा को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के जरिए अमल में लाया जाएगा। इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इसी तरह उन्होंने समाज कल्याण विभाग की योजनाओं के तहत छोटे और पिछड़े समुदायों के लिए कई तरह की घोषणाएं की हैं। इसके लिए 200 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
मुख्यमंत्री के एक सहयोगी ने बताया, ‘सिद्धारमैया ने बजट में ऐसी कई घोषणाएं की हैं, जो चुनाव के लिहाज से काफी अहम हैं। इनमें कई घोषणाएं ऐसी हैं, जिनकी सीख तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे दूसरे राज्यों के लोकप्रिय नेताओं से ली गई है। उन्होंने यूपी में सामने आए अहम मुद्दों को भी ध्यान में रखा है।’
इसके अलावा बजट में सिद्धारमैया ने कई जनजातियों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए आवंटन के अलावा सीएम ने गुरुद्वारों के लिए 10 लाख रुपये और ‘सिख समुदाय की संस्कृति और परंपरा की रक्षा’ के लिए एक सांस्कृति केंद्र बनाने की घोषणा की है, जिसके लिए 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।