चीन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने म्यांमार दौरे पर हैं। उनका वहां बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जिस पर उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपने घर में ही हूं। आज पीएम मोदी ने सबसे पहले म्यामांर की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की से मुलाकात की।
इसके बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेस में म्यांमार से दूसरे देशों में रोहिंग्या मुस्लिमों के पलायन का मुद्दा उठाते हुए चिंता जताई और कहा कि भारत हर संभव मदद को तैयार है।
मुलाकात के बाद सू की के साथ साझा बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सुरक्षा के लिए भारत और म्यांमार का साथ खड़े होना जरूरी। पड़ोसी होने के नाते सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों के हित एक जैसे हैं। हम इस क्षेत्र में म्यांमार की चिंताओं को समझते हैं।
इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक महत्वपूर्ण मित्र स्टेट काउंसलर आंग सान सू की से मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री की म्यांमार यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब राखिन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर जातीय हिंसा जारी है।
भारत सरकार देश में रोहिंग्या विस्थापितों के आगमन को लेकर चिंतित है और उन्हें वापस भेजने पर विचार कर रही है। कहा जाता है कि भारत में लगभग 40 हजार रोहिंग्या अवैध रूप से रह रहे हैं।
मोदी ने अपनी यात्रा से पहले कहा था कि भारत और म्यांमार सुरक्षा, आतंकवाद, व्यापार एवं निवेश, अवसंरचना, ऊर्जा तथा संस्कृति जैसे क्षेत्रों में मौजूदा सहयोग को भी मजबूत करना चाहते हैं।