शनिदेव के कई प्रसिद्ध मंदिर देश के कोने-कोने में मौजूद हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनका एक मंदिर ऐसा भी है जहां ये पत्नी के साथ विराजमान हैं. छत्तीसगढ़ के कवर्धा में शनिदेव का एक ऐसा देवालय भी है जहां वे अपनी पत्नी देवी स्वामिनी के साथ पूजे जाते हैं.
पांडव कालीन बताई जाती है प्रतिमा
कवर्धा जिला मुख्यालय से भोरमदेव मार्ग पर 15 किलोमीटर दूर ग्राम छपरी, फिर 500 मीटर आगे चलने पर प्राचीन मड़वा महल है. यहां से जंगलों के बीच से होता हुआ 4 किमी का टेढ़ा-मेढ़ा पथरीला रास्ता और संकरी नदी के उतार-चढ़ाव हिस्से को पार करने के बाद आता है ग्राम करियाआमा. इस गांव की प्रसिद्धि यही है कि यहां देश का एकमात्र ऐसा शनि देवालय है, जहां पत्नी के साथ उनकी पूजा होती है. शनिदेव की प्रतिमा पांडव कालीन बताई जाती है.
हटी धूल तो सामने आई अनूठी प्रतिमा
यहां के पुरोहित के मुताबिक वे काफी लंबे समय से भगवान शनिदेव की पूजा करने के लिए करियाआमा जाते रहे हैं. लगातार तेल डालने की वजह से प्रतिमा पर धूल-मिट्टी की काफी मोटी परत जम चुकी थी. एक दिन इस प्रतिमा को साफ किया गया तो वहीं शनिदेव के साथ उनकी पत्नी देवी स्वामिनी की भी प्रतिमा मिली.
पति-पत्नी साथ कर सकते हैं पूजा
इस मंदिर को देश का एकमात्र सपत्नीक शनिदेवालय का दर्जा मिला है, बाकी स्थानों पर शनिदेव की अकेली प्रतिमा ही स्थापित हैं. यह शनि मंदिर इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पति-पत्नी दोनों एक साथ शनिदेव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं, जबकि देश के सबसे प्राचीन शनि मंदिरों में से एक शनि शिंगणापुर में भी पहले महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. हालांकि, अब वहां महिलाओं को भी पूजा करने का अधिकार मिल गया है.