वजन कम करने के लिए सिर्फ एक्‍सरसाइज करना काफी नहीं

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वजन कम करने के लिए हम क्या जतन नहीं करते. योगा, एक्सरसाइज, रनिंग, डाइटिंग – हर विकल्प में हम उम्मीद तलाशते हैं कि कोई तरीका कैसे भी कुछ किलो वजन कम कर दे.

लेकिन क्या वाकई ये तरीके सब पर कारगर साबित होते हैं, शायद नहीं. ऐसा क्यों होता है कि हमारे वेट लूज प्रोग्राम अक्सर फेल हो जाते हैं और इससे धीरे-धीरे आत्मविश्वास में भी कमी आने लगती है.

यूएस यूनिवर्सिटी की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक जिन बच्चों का वजन ज्यादा होता है, उनका दिमाग हेल्दी वेट वाले बच्चों के दिमाग से अलग होता है.

टेनेसी की वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में हुई एक स्टडी के मुताबिक बच्चों के बीच हेल्दी फूड हैबिट और वेट कंट्रोल की माइंडफुलनेस थेरपी पर काम करना चाहिए ताकि उनको इस महत्वपूर्ण विषय की जानकारी हो. सीनियर ऑथर केविन निसवेंडर ने कहा कि बच्चे और बड़े, दोनों ही अपने खानपान के प्रति जागरुक नहीं होते हैं.

आज के लाइफस्टाइल में फास्ट फूड, एनर्जी फूड आइटम्स और इनके आकर्षक विज्ञापन बच्चों को बहुत ज्ल्दी अपनी ओर खींचते लेते हैं. ऐसे में बच्चों में ओबेसिटी का खतरा बढ़ जाता है. रिसर्च के को-ऑथर रोनाल्ड कोवन का कहना है कि हमें लगता है बच्चों में होने वाली ओबेसिटी को हम माइंडफुलनेस थेरपी के जरिए कंट्रोल कर सकते हैं.

एमआरआई स्कैन के जरिए रिसर्चर ने पता लगाया कि किस तरह खानपान की गलत आदतें और ओबेसिटी दिमाग के कई हिस्सों पर असर डालने लगती है. माइंडफुलनेस के जरिए दिमाग की ऐसी ही समस्याओं से निपटने में मदद मिल रही है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस थेरपी का असर बच्चों और अडल्ट दोनों में अलग-अलग तरह से देखने को मिल रहा है. इसलिए बेहतर यही होगा कि ओबेसिटी और इसके लक्षणों को समय रहते ही पहचानकर उसे रोकने और सुधारने के उपाय कर लिए जाएं. यह स्टडी रिपोर्ट 21 जनवरी को जरनल हैलियन में प्रकाशि‍त हुई है.

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