शरद यादव की सदस्यता समाप्त करने के लिए राज्यसभा से मांग करेगी जेडीयू

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नई दिल्ली – (ईपत्रकार.कॉम) |जेडीयू पार्टी से बगावत करने वाले नेता शरद यादव की सदस्यता समाप्त करने के लिए जल्द ही राज्यसभा सचिवालय के पास शिकायत दर्ज कराने जाएगी। पार्टी के नैशनल जनरल सेक्रटरी संजय झा ने बताया, ‘हमारी पार्टी ने पहले ही यादव को एक पत्र भेजकर उन्हें लालू की रैली में शामिल नहीं होने के लिए कहा था। इसके साथ ही उन्हें बताया गया था कि अगर वह शामिल होते हैं तो इसे उनका पार्टी को स्वेच्छा से छोड़ना माना जाएगा।’ बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की एकता को दिखाने के लिए आरजेडी ने पटना में 27 अगस्त को एक रैली का आयोजन किया था। इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी हिस्सा लिया था।

झा ने कहा कि यह स्पष्ट तौर पर आरजेडी की रैली थी और शरद यादव ने पहले से चेतावनी मिलने के बावजूद इसमें हिस्सा लेकर जेडीयू के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। उनका कहना था, ‘रैली का आयोजन आरजेडी ने किया था, जेडीयू ने नहीं। शरद यादव ने हमारी पार्टी की ओर से मना करने के बावजूद रैली में जाकर भाषण दिया। यह निराशाजनक है कि हमारी पार्टी के आरजेडी के भ्रष्टाचार के खिलाफ स्पष्ट रुख रखने के बावजूद यादव ने इसके बारे में कुछ नहीं बोला।’

यादव अब 16 विपक्षी दलों की नैशनल कमिटी के कन्वेनर हैं। उन्होंने बुधवार को ईटी को बताया था कि वह राज्यसभा से उन्हें अयोग्य करवाने की नीतीश की योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। यादव ने नीतीश के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने पर भी सवाल उठाया था। इसके जवाब में झा ने कहा कि नीतीश का आरजेडी के साथ गठबंधन तोड़ने का फैसला भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के चुनावी वादे के अनुसार लिया गया है। उन्होंने बताया कि शरद यादव इससे पहले पार्टी का अध्यक्ष होने के समय पार्टी के सदस्यों के खिलाफ गए थे।

झा का कहना था, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि बिहार में मतदाताओं ने नीतीश को समर्थन दिया था। बिहार के सभी 71 विधायक नीतीश के साथ मजबूती से खड़े हैं। जेडीयू विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों ने कहा था कि पार्टी को किसी भी स्थिति में लालू प्रसाद और उनके परिवार के भ्रष्टाचार के साथ नहीं खड़ा होना चाहिए। उनका संदेश था कि हम लालू के साथ नहीं डूबेंगे, लेकिन इसके बावजूद शरद यादव आरजेडी के भ्रष्टाचार की बात नहीं कर रहे।’ उन्होंने कहा कि शरद यादव ने 2013 में जेडीयू के बीजेपी के साथ गठबंधन से बाहर निकलने पर ‘मतदाताओं को धोखा देने’ का मुद्दा नहीं उठाया था।

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