शाम है बुझी बुझी वक्त है खफा खफा

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शाम है बुझी बुझी वक्त है खफा खफा,

कुछ हंसीं यादें हैं कुछ भरी सी आँखें हैं,

कह रही है मेरी ये तरसती नजर,

अब तो आ जाइये अब न तड़पाइये।

हम ठहर भी जायेंगे राह-ए-जिंदगी में

तुम जो पास आने का इशारा करो,

मुँह को फेरे हुए मेरे तकदीर सी,

यूँ न चले जाइये अब तो आ जाइये।

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