सिंधु जल आयोग की दो दिवसीय बैठक सोमवार को बंद कमरे में शुरू हो गई। इसमें भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों ने सिंधु बेसिन से जुड़ी समस्याओं पर विचार-विमर्श किया। उड़ी आतंकी हमले के चलते दोनों देशों के रिश्तों में आए तनाव के कारण यह बैठक करीब दो साल बाद हो रही है।सिंधु जल आयुक्त पीके सक्सेना के नेतृत्व में 10 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तानी पक्ष के साथ बातचीत की। पाकिस्तानी दल का नेतृत्व मिर्जा आसिफ सईद कर रहे हैं।
पाकिस्तान के जल और ऊर्जा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस वार्ता की शुरुआत को दोनों देशों के संबंधों के लिए अच्छा बताया। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रातले जलविद्युत संयंत्र पर सचिव स्तर की वार्ता अगले महीने की 12 तारीख को वाशिंगटन में शुरू होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और पाकिस्तान के स्थायी सिंधु जल आयुक्तों की बैठक के बाद स्थितियां सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगी।
भारतीय सिंधु जल के कमिश्नर पी के सक्सेना 10 सदस्यों के भारतीय दल का नेतृत्व कर रहे हैं। इससे पहले मई 2015 में आयोग की आखिरी बैठक हुई थी। पाकिस्तान कह चुका है कि वह सिंधु जल समझौते में किसी भी तरह के बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा। भारत ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा है कि उसकी हाइड्रो पावर योजनाएं इस समझौते का उल्लंघन नहीं करती हैं। इस सम्मेलन में किशनगंगा और रालते परियोजनाओं पर दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद पर भी बातचीत किए जाने की उम्मीद है।
भारत द्वारा शुरू की गई 330 मेगावॉट क्षमता वाली किशनगंगा परियोजना और 850 मेगावॉट वाली रालते जलविद्युत योजना का पाकिस्तान विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि इन परियोजनाओं के द्वारा भारत सिंधु जल समझौते का उल्लंघन कर रहा है। विश्व बैंक ने दोनों देशों को आपस में बातचीत कर विवादों को सुलझाने की सलाह दी थी। पाकिस्तान के लिए सिंधु का जल काफी अहमियत रखता है। आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान की कुल कृषि योग्य भूमि के जिन हिस्सों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है, उनमें से 80 फीसद भूमि सिंधु पर निर्भर है।