श्रीसंत को झटका, प्रतिबंध हटाने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा BCCI

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मैच फिक्सिंग के आरोप में क्रिकेटर एस. श्रीसंत पर लगे आजीवन प्रतिबंध को केरल हाई कोर्ट द्वारा हटाने के बाद बीसीसीआई ने इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट में अपील दायर की है। बीसीसीआई ने तेज गेंदबाज एस. श्रीसंत पर 2013 में कथित स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में फंसने के बाद आजीवन प्रतिबंध लगाया था। श्रीसंत ने बोर्ड के इस निर्णय के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी, जिस पर हाई कोर्ट ने 7 अगस्त को श्री संत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन पर लगे प्रतिबंध को हटाने का निर्देश दिया था।

बीसीसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जोहरी ने इस मामले में अपील दायर करते हुए कोर्ट से कहा कि उसे (कोर्ट को) इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए। बोर्ड ने स्पॉट फिक्सिंग मामले में कार्रवाई करते हुए साक्ष्यों के आधार पर स्वभाविक न्याय को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह कार्रवाई की थी। बोर्ड ने अपनी इस अपील में कोर्ट को बताया कि वह श्री संत पर लगे आजीवन प्रतिबंध को सिर्फ इसलिए नहीं हटा सकता कि दिल्ली की एक सेशन कोर्ट ने उसे इस मामले में बरी कर दिया था। अपील में कहा गया है कि अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए आपराधिक कार्रवाई की अपेक्षा हल्के साक्ष्यों के आधार पर भी निर्णय लिया जा सकता है।

बता दें कि 7 अगस्त 2017 को इस मामले पर हाई कोर्ट की एक सदस्य बेंच ने सुनवाई के दौरान बोर्ड की आलोचना करते हुए कहा था, ‘बीसीसीआई इस बैन को सही ठहराने में विफल साबित हुआ है। उसने कार्रवाई करते हुए सभी साक्ष्यों पर ध्यान देने की बजाए साक्ष्य सिर्फ एक छोटे से हिस्से को अपने फैसले का आधार बनाया है। इसके चलते बोर्ड की अनुशासनात्मक समिति प्रस्तुत साक्ष्यों में सच तक नहीं पहुंच पाई।’

इस सिंगल बेंच ने बोर्ड के इस रवैये पर भी सवाल उठाया था कि बोर्ड कार्रवाई करते हुए निचले स्तर के साक्ष्यों को स्वीकार कर सकता है। इस दौरान कोर्ट में पेश श्रीसंत के दोस्त जीजू जनार्दन और बुकी के टेलीफोन पर हुई बातचीत के रिकॉर्ड को भी कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसमें श्रीसंत का कोई सीधा कनेक्शन नहीं दिखता। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर यह भी मान लिया जाए कि श्रीसंत को पता थी कि फिक्सिंग करने पर वह प्रतिबंधित भी हो सकता है, तो चार साल का यह बैन उसके लिए पर्याप्त है।

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