सईद के संगठन पर कार्रवाई के फैसले से पलटा पाकिस्तान,अब नहीं होगी कड़ी कार्रवाई

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आतंकियों की सरपरस्ती करने वाले पाकिस्तान का असली चेहरा एक बार फिर सामने आया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने मुंबई हमले के गुनहगार हाफिज सईद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने वाला अपना फैसला पलट दिया है.

बताया जा रहा है कि हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउन्डेशन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से राजनीतिक संकट का खतरा था. जिसके डर से अब्बासी ने अपना फैसला पलट दिया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाते हुए सुरक्षा सहायता के तौर पर उसे दी जाने वाली दो अरब डॉलर की राशि रोक दी थी. इसके बाद वह आतंकवादी समूहों पर लगाम कसने को लेकर काफी दबाव में आ गया था.

जमात-उद दावा (JuD) लश्कर-ए तैयबा का मुखौटा संगठन है. यह मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार है. उस हमले में 166 लोग मारे गए थे. अमेरिका ने जून 2014 में विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था.

अब्बासी ने क्या कहा
खबर के अनुसार एक बैठक में अब्बासी ने कहा, ‘दोनों संगठनों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, लेकिन गृह मंत्री अहसन इकबाल की राय थी कि अगर अभी इन संगठनों को प्रतिबंधित किया गया तो सरकार को उसी तरह के संकट का सामना करना पड़ेगा, जैसा उसे नवंबर में करना पड़ा था.’

नवंबर में फैजाबाद में खादिम हुसैन रिजवी के नेतृत्व वाले इस्लामी संगठन तहरीक लब्बाइक या रसूल अल्लाह के समर्थकों के धरने की वजह से इस्लामाबाद और रावलपिंडी में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था.

बैठक में वित्त और आर्थिक मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार मिफ्ताह इस्माइल और विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की आगामी बैठक के संभावित नतीजों के बारे में उन्हें जानकारी दी. इस बैठक में पाकिस्तान को उन देशों की सूची में डालने का फैसला किया जा सकता है जो आतंकवाद का वित्तपोषण करते हैं.

खबर में बताया गया कि उनकी सूचनाओं के आधार पर अब्बासी ने तीन सदस्यीय एक समिति का गठन किया, जो जेयूडी और एफआईएफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के बारे में फैसले को अंतिम रूप देगी. इस समिति में इकबाल, इस्माइल और अटॉर्नी जनरल इश्तार औसफ शामिल हैं.

समिति ने राष्ट्रपति के अध्यादेश के जरिए मुद्दे का समाधान करने का फैसला किया. इसके जरिए आतंकवाद निरोधक कानून, 1997 में संशोधन किया जाएगा. यह कानून संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित संगठन की सभी संपत्तियों को कुर्क करने में सक्षम बनाएगा.

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