स्मार्टफोन आज के युग में दैनिक प्रयोग की प्राथमिक जरुरतों मे से एक बन गया है। स्मार्टफोन का प्रयोग बात करने के साथ साथ इंस्टेंट मैसेजीग, इंटरनेट ब्राउजिंग, नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, तस्वीरें खींचने, डॉक्यूमेंट्स सेव करने, ई-मेल और ऑनलाइन मार्केटिंग तक किया जाने लगा है. अब जब हर किसी की जरुरत बन गयी हो स्मार्टफोन तो जाहीर सी बात है बाजार में कई ब्रैंड्स के असंख्य स्मार्टफोन्स उपलब्ध हैं. ऐसे में कौन सा फोन खरीदा जाए, और कौन सा नही इसको तय करना आसान नहीं होता. अगर आप भी स्मार्टफोन खरीदना चाहते है और आप भी इसी तरह के दुविधा में है तो एक फोन खरीदने से पहले आपको इन 11 बातों को ध्यान में रख कर नया फोन का चयन करें.
प्रोसेसर : फोन बिना हैंग हुये स्मुथ चले इसमें प्रोसेसर का अहम योगदान होता है। प्रोसेसर के साथ यूजर इंटरफेस और ब्लोटवेयर आदि पर निर्भर करती है। अगर आप फोन के मल्टीटास्किंग यूजर हैं तो क्वॉलकॉम स्नैपड्रैगन 652 या स्नैपड्रैगन 820/821 प्रोसेसर वाले स्मार्टफोन खरीदें। और अगर आप लाइट यूजर्स में से एक हैं तो आप मीडियाटेक प्रोसेसर वाले स्मार्टफोन भी खरीद सकते हैं।
बैटरी : बैटरी का इस्तेमाल यूजर पर निर्भर करता है। आप फोन को कैसे इस्तेमाल करते हैं, बैटरी उसी हिसाब से खर्च होती है। अगर आप हेवी यूजर हैं तो 3,500 mAh से ज्यादा बैटरी वाला फोन खरीदें। ऐवरेज या लाइट यूजर्स में से एक है तो आपके लिए 3000 mAh की बैटरी भी पूरी दिन चलेगी।
रैम : स्मार्टफोन में प्रोसेसर के बाद अगर किसी पार्ट की अहम भुमिका है तो वह है रैम। क्योकि रैम में ही फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप्स के टम्परोरी फाइल एक्टीव रहते है जिसका प्रयोग आपका फोन जरुरत के हिसाब से करता रहता है सो अगर आपके फोन का रैम कम हो तो आपके फोन में हैंगीग या बफरींग की शिकायत आ सकती है. तो अगर आप विड़ियो के शौकिन या हैवी फोन युजर है तो कम से कम 4 जीबी रैम वाला फोन ही खरीदें रेगुलर युजर के लिये 2 या 3 जीबी के फोन भी ठिक हैं.
बिल्ड क्वॉलिटी : फोन कितना चलेगा, कितना मजबूत है, यह बिल्ड क्वॉलिटी के ऊपर निर्भर करता है। इस वक्त आपको मार्केट में दो तरह की बिल्ड क्वॉलिटी के फोन मिलेंगे- प्लास्टिक और मेटल। कुछ ऐसे स्मार्टफोन्स भी हैं, जिनकी बॉडी ग्लास कोटेड है। अगर आपसे फोन आपके हाथ से गिरता रहता है तो मेटल या प्लास्टिक बॉडी वाला स्मार्टफोन ही ले क्योकी अगर आपका फोन 2 से 3 फीट की ऊंचाई से गिरता भी है तो भी सुरक्षित रहते हैं, जबकि ग्लास कोटेड स्मार्टफोन टूट जाते हैं और आप परेशानी में पड़ जाते हैं.
OS वर्जन : मोबाइल फोन का ऑपरेटिंग सिस्टम OS का वर्जन काफी महत्व रखता है. क्योकि नये os में कुछ नये फीचर होते है जिससे आपके मोबाइल को बिना रुके आधुनिक सेवाओं के प्रयोग के लिये कोई अलग से ऐप्स को नही इंस्टाल करना पड़ता है और ऐसे में आपका रैम और इन्टरनल स्पेस दोनो की बचत होती है. अगर आपको बेसिक और प्योर ऐंड्रॉयड टाइप फीलिंग चाहिए तो मार्समेलो ऑपरेटिंग सिस्टम का ही चयन करें।
ध्यान रखें कि कंपनियां कुछ ऐसे ऐप्स बी डालती हैं, जो आपके काम ही नहीं आएंगे और आप उन्हें अनइंस्टॉल भी नहीं कर सकते। इसलिए कोई हैंडसेट खरीदने से पहले उसे ट्राई करके देखें।
सिक्यॉरिटी : आजकल ज्यादातर स्मार्टफोन एक्स्ट्रा सिक्यॉरिटी फीचर्स के साथ आते हैं, जैसे कि फिंगरप्रिंट सेंसर और आइरिस सेंसर। ये सिर्फ लॉक या अनलॉक करने की ही काम नहीं आते, बल्कि फाइल्स या ऐप्स के लिए पासवर्ड का काम भी करते हैं। फिंगरप्रिंट सेंसर वाले स्मार्टफोन 5000 रुपये तक में आने लगे हैं। आइरिस सेंसर वाले फोन अभी कम ही उपलब्ध हैं। इसलिए आप अगर पर्सनल इन्फर्मेशन को सिक्यॉर रखना चाहते हैं तो इन फीचर्स वाला स्मार्टफोन खरीदने को प्राथमिकता दें।
स्टोरेज : आपके स्मार्टफोन में स्टोरेज का भी बहुत बड़ा योगदान होता है क्योकि इन्टरनल स्टोरेज का बड़ा हिस्सा OS और प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स घेर लेता है और युजर के लिए इन्टरनल मेमोरी का बहुत कम स्पेस प्रयोग के लिये मिल पाता है। फोन की मेमरी जितनी भी लिखी हो, उसमें इस हिस्से का जिक्र नहीं होता। अगर आप कम ऐप्स रखते हैं तो कम से कम 32जीबी मेमरी वाला स्मार्टफोन खरीद सकते हैं। पर अगर आप बहुत ज्यादा ऐप्स इस्तमाल करते हैं तो 64 जीबी या 128 जीबी वाले वैरियंट्स ही खरीदें। 16 जीबी वाला मॉडल तभी खरीदें, जब माइक्रोएसडी कार्ड लगाने का फीचर दिया गया हो.
डिस्प्ले : डिस्प्ले का साइज और रेजॉलूशन बहुत मायने रखता है। अगर आप ईमेल चेक करने, ब्राउजिंग करने या चैटिंग के सौकीन हैं तो 5 या 5.5 इंच डिस्प्ले वाला फोन खरीद सकते है। अगर आप विडियो स्ट्रीम करते हैं, फोटो और विडियो एडिट करते हैं या मूवीज वगैरह डाउनलोड करते हैं तो आपको 5.5 इंच या 6 इंच डिस्प्ले वाला स्मार्टफोन लेना चाहिए। फुल एचडी या QHD रेजॉलूशन वाला डिस्प्ले लेंगे तो और अच्छा रहेगा। इस बात का भी ध्यान रखें कि 6 इंच के डिस्प्ले वाले स्मार्टफोन थोड़े भारी होते हैं और कैरी करने में सुविधाजनक नहीं होते।
कैमरा : फोन के कैमरे में मेगापिक्सल ज्यादा हों तो इसका मतलब यह नहीं है कि कैमरा अच्छा है। कई सारे स्पेसिफिकेशंस हैं जो कैमरे को को बेहतर बनाते हैं। जैसे कि कैमरा अपर्चर, ISO लेवल, पिक्सल साइज और ऑटोफोकस। 16 मेगापिक्सल कैमरा जरूरी नही कि 12 मेगापिक्सल कैमरे से अच्छा हो। यही बात फ्रंट फेसिंग कैमरे पर भी लागू होती है। ज्यादा मेगापिक्सल का मतलब होता है का इमेज का साइज बड़ा होगा और छोटी स्क्रीन पर ज्यादा शार्प दिखेगी इमेज। फोटोग्राफी पसंद करने वाले लोग 12 या 16 मेगापिक्सल वाले कैमरे में f/2.0 या कम अपर्चर चाहेंगे ताकि कम लाइट में भी अच्छी तस्वीरें खींच सकें। सामान्यत: प्रयोग करने वालो के लिए 8मैगा पिक्सल या 12 मैगा पिक्सल कैमरा, जिसका अपर्चर f/2.0-f/2.2 हो, वो ठिक रहेगा।
ऑडियो : स्पीकर और ऑडियो क्वॉलिटी उन लोगों के लिए जरूरी फीचर है, जो विडियो स्ट्रीमिंग करते हैं या विडियो कॉन्फ्रेंसिंग करते हैं। ऐसा स्मार्टफोन खरीदें, जिसमें स्पीकर सामने लगे हों। इससे आपको साफ आवाज सुनाई देगी। अगर आप विडियो स्ट्रीमिंग या विडियो कॉन्फ्रेंसिंग नहीं करते तो बॉटम फायरिंग स्पीकर वाला फोन भी आपके लिए ठीक रहेगा। अगर स्पीकर बैक में हों, तब भी कोई दिक्कत नहीं होगी।
हेडफोन जैक/ यूएसबी पोर्ट : फोन में पोर्ट कौन सा लगा है, यह बात भी मायने रखती है। मार्केट में माइक्रो-यूएसबी और यूएसबी टाइप-C पोर्ट वाले स्मार्टफोन उपलब्ध हैं। आजकल यूएसबी टाइप-सी वाला स्मार्टफोन लेना ही ठीक है, क्योंकि यह प्लग करने में भी आसान होता है और फ्यूचर प्रूफ भी है। यानी बहुत सी कंपनियां अब यही पोर्ट लगाने लगी हैं। कुछ ने तो 3.5mm हेडफोन जैक को छोड़कर इसी के जरिए हेडफोन कनेक्ट करने का फीचर दिया है। माना जा रहा है कि आने वाले 2 सालों में ज्यादातर कंपनियां यूएसबी टाइप-सी पोर्ट को ही अपनाएंगी।