इस अभियान की नोडल अधिकारी एवं सहायक कलेक्टर श्रीमती जयति सिंह से प्राप्त जानकारी अनुसार अभियान के दौरान छूटे हुये 301 बच्चों को बीसीजी, 452 बच्चों को पेंटावेंलेंट, 634 बच्चों को मीजल्स, 212 बच्चो को विटामिन ‘‘ए‘‘ घोल, 269 बच्चो को डीपीटी का डोज, 257 बच्चो को ओपीवी, 107 बच्चो को टीटी तथा 239 महिलाओं का प्रसव पूर्व परीक्षण कर उपचारित किया गया।
डॉ. नायक बताते है कि इस कार्ययोजना को जिले की विशेष आवश्यकता एवं भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर अपनाया गया है। वे बताते है कि बड़वानी जिले का सबसे पिछड़ा विकासखण्ड पाटी दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र होने से वर्षा आधारित खेती पर आधारित है। इस कारण से इस क्षेत्र के रहवासी खरीफ की फसल कटने के साथ बेहतर आर्थिक उपार्जन हेतु दूसरे राज्यों एवं बड़े शहरों में परिवार के सदस्यों के साथ चले जाते है। जिससे उनके छोटे-छोटे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधा एवं बिमारी से बचाने वाले लगाये जाने वाले टीको से वे छूट जाते है। इसी बात को ध्यान रखते हुये यह अभियान विगत वर्ष से प्रारंभ किया गया है।।
इस कार्ययोजना के तहत जिले की 130 एएनएम को इस विकासखण्ड के सबसे दुर्गम क्षेत्र के 8 उप स्वास्थ्य केन्द्रो के ग्राम लिम्बी, बमनाली, वेरवाड़ा, चैरवी, बोरखेड़ी, सेमलेट, गुढ़ी, रोसर के 33 ग्रामो के 130 फल्यों में घर-घर भेजने की कार्ययोजना बनाई गई थी। ( पूर्व में यह कार्य इस क्षेत्र में पदस्थ मात्र 6 एएनएम देखती थी ) इन एएनएम को अभियान के एक दिन पूर्व इन्ही ग्रामों के आस-पास बने कन्या छात्रावास – आश्रमो में रूकने-खाने-पीने की समुचित व्यवस्था निःशुल्क की गई थी। इस अभियान के तहत प्रातः 8 बजे से एएनएम, क्षेत्र की आशा-आंगनवाड़ी कार्यक्रता, वन रक्षक तथा शिक्षक टीम के रूप में इन पहाड़ियो पर अलग-अलग स्थानो पर बने घरो तक पहुचने का कार्य प्रारंभ कर देते थे और प्रयास करते थे कि शाम 5 बजे तक वे अधिक से अधिक घरों तक पहुंचकर शत-प्रतिशत बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का वैक्सीनेशन के साथ-साथ समुचित स्वास्थ्य परीक्षण कर ले।
- अभियान के दौरान 400 से अधिक पहाड़ियों को पार करते हुये 200 से अधिक बिखरी हुई बस्तियों तक पहुंच बनाई गई।
- 130 एएनएम को अभियान में लगाया गया। जबकि पहले यह कार्य पदस्थ 6 एएनएम के जिम्मे था।
- जिस क्षेत्र पाटी में यह अभियान चला वह देश के सबसे पिछड़े हुये 10 विकासखण्ड में शामिल है। इस हेतु भारत सरकार ने इन क्षेत्रो के लिये वनबन्धु योजना लागू की है।
- योजना में लगने वाले चार पहिया वाहनो की व्यवस्था जिला अधिकारियो को जिम्मेदारी सौंपकर पूर्ण की गई। वही दो पहिया वाहनो की आवश्यकता की पूर्ति इस क्षेत्र में पदस्थ शिक्षको को अभियान से जोड़कर की गई।
- इस अभियान के तहत लगभग 40 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर किया गया।
- इस अभियान के तहत कवर किया गया यह क्षेत्र गुजरात के छोटा उदयपुर, महाराष्ट्र के अक्राणी से लगा हुआ है। जो उन राज्यो के सबसे पिछड़े हुए क्षेत्र होने से दीनबंधु योजना में सम्मिलित है।