हनुमान जयंती पर वर्षों बाद बन रहा विशेष योग

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आज हनुमान जयंती है, इस बार हनुमान जयंती पर अद्भुत और विशेष योग बन रहा है। हनुमान जयंती को लेकर जहां मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मंगलवार को मंदिरों में हनुमान जयंती के अवसर पर वैसे हर वर्ष ही भव्य हवन-पूजन होता है लेकिन इस बार विशेष योग होने के कारण पूजन भी विशेष ही होंगे।

पंडितों की मानें तो एक करोड़ पिचयासी लाख अट्ठावन हजार एक सौ तेरह वर्ष पहले चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लगन के योग में हुआ था। अधिक मतानुसार चैत्र मास की पूर्णिमा को ही माता अंजनी के गर्भ से हनुमान जी ने जन्म लिया, इसलिए यह जन्मतिथि विशेष है।

अत: इस बार 11 अप्रैल यानी आज मंगलवार को कई वर्षों बाद चित्रा-नक्षत्रयुता परम पुण्यदायिनी स्नान दानकी चैत्री पूर्णिमा मंगलवार के दिन इस अति विशिष्ठ योग में हनुमान जी की उपासना, पूजा पाठ करने का विशेष लाभ भक्तों को प्राप्त होगा। इस बार एक विशेष बात यह भी है कि इस संवत्सर के राजा भी मंगल है। यदि मंगलवार से हनुमान उपासना प्रारंभ की जाए तो अनुकूल होगी।

कामना पूर्ति के लिए करें दीपदान
हनुमान जी के लिए दीपदान अतिप्रिय है। हनुमान जी के दीपदान में देव प्रतिमा के आगे, प्रमोद के अवसर पर, ग्रहों के निमित, ग्रहों में और चौराहों पर इन छह स्थलों पर दीप जलाना चाहिए। विघ्न एवं संकटों का नाश करने के लिए गणेश जी के निकट हनुमान जी के लिए दीपदान करें। व्याधि नाश तथा दुष्ट ग्रहों की दृष्टि रक्षा के लिए भी चौराहों पर दीपदान करें।

यह है पूजन विधि
-पूजन विधि पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठें।

-लाल धोती और ऊपर वस्त्र चादर, दुपट्टा आदि डाल लें।

-सामने छोटी चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर तांबे की प्लेट पर लाल पुष्पों का आसन देकर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।

-मूर्ति पर सिंदूर से टीका कर लाल पुष्प अर्पित करें।

-मूर्ति पर सिंदूर लगाने के बाद धूप-दीप, अक्षत, पुष्प एवं नैवेद्य आदि से पूजन करें।

-सरसों या तिल के तेल का दीप एवं धूप जलाएं।

-द्वादश नामों का स्मरण 151 बार करें।

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