2019 में मोदी का विजय रथ रोकने के लिए राहुल ने बनाई ये महानीति’

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बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलकर बीजेपी नीत एनडीए में शामिल होने के बाद कांग्रेस अब 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए नए सहयोगियों की तलाश में फूंक-फूंककर कदम उठा रही है. नरेंद्र मोदी का विजय रथ रोकने की इस लड़ाई में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को भावी सहयोगी के रूप में देख रही है.

राहुल गांधी यहां युवा पीढ़ी को रिझाकर अगले लोकसभा चुनाव में अपनी नैया पार करने की सोच रहे हैं, हालांकि यहां इन संभावित सहयोगियों खासकर तेजस्वी और अखिलेश पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप उनकी राह में रोड़ा बन सकते हैं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन औद्योगिक विकास प्राधिकरण- नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ऑडिट का आदेश दिया है. पूर्व की अखिलेश यादव सरकार के दौरान इन तीनों प्राधिकरणों पर अनियमित्ताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं. वहीं आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी कथित बेनामी संपत्तियों के मामले में सीबीआई जांच के घेरे में है.

यहां समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल पहले से ही कांग्रेस के साथ हैं, जबकि यूपीए सरकार में सहयोगी रही डीएमके को दोबारा रिझाने की कांग्रेस की कोशिश इस जून महीने में डीएमके सुप्रीमो एम करुणानिधि के 94वें जन्मदिन के मौके पर दिखी, जब राहुल गांधी चेन्नई पहुंचे थे. इस दौरान करुणानिधि, उनके बेटे एमके स्टालिन और अन्य लेफ्ट नेताओं की मौजूदगी में राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुकाबले और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को देश भर में एक विचार-संस्कृति लागू करने से रोकने का खम ठोका था.

हालांकि यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि आरजेडी और सपा प्रमुख के अलावा डीएमके पर भी भ्रष्टाचार के ढेरों आरोप हैं. पार्टी प्रमुख करुणानिधि के पोते दयानिधि मारन पर पूर्व की यूपीए-1 सरकार में टेलीकॉम मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगे. वहीं करुणानिधि की बेटी कणिमोइ और पार्टी नेता ए राजा को 2जी स्कैम के आरोप में जेल जाना पड़ा था.

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