नई दिल्ली: चुनाव आयोग को भी अब अदालतों की तरह ही अवमानना की कार्रवाई का अधिकार चाहिए। दअसल उसने चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की मर्यादा का उल्लंघन करने और आयोग को खिलाफ अनाप-शनाप बोलने वालों पर अवमानना की कार्रवाई के अधिकार की मांग की है। आयोग ने कानून मंत्रालय को परिस्थितियों के मद्देनजर यह पत्र लिखा है ताकि लोग संवैधानिक संस्थाओं पर बेबुनियादी आरोप लगाकर उनकी छवि खराब न करें।
बता दें कि हाल के दिनों में खासकर विपक्षी पार्टियों ने जिस तरह चुनाव आयोग पर सत्ताधारी दल के एजेंट के रूप में काम करने जैसे आरोप लगाए उससे आहत आयोग ने ऐसे लोगों या संगठनों को कानूनी कठघरे में खड़ा कर जिरह करने और सबक सिखाने की ठानी है। आयोग ने सरकार पत्र लिखकर अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 में संशोधन कर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को भी इस अधिकार के दायरे में लाने की सिफारिश की है।
आयोग ने इस बाबत पाकिस्तान चुनाव आयोग को मिले अवमानना की कार्रवाई के अधिकार का जिक्र भी किया है। आयोग का कहना है कि उनके सदस्यों की निष्ठा पर सवाल उठा कर छवि धूमिल करने एक बहुत बड़ा सवाल है। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने कुछ महीने पहले चुनाव आयुक्तों की निष्ठा पर राजनीतिक टिप्पणियां करते हुए कहा था कि यह आयोग केंद्र के हाथ की कठपुतली है। कानून मंत्रालय ने आयोग से आए पत्र की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार आयोग की इस मांग पर विचार करेगी।