घने जंगलों के बीच छिपे हुए और वीडियो में गन लहराकर हिंदुस्तान को चुनौती देने का दुस्साहस करने वाले आंतकियों के दिन अब गिनती के रह जाएंगे.
सुरक्षा बलों को मिलने वाली है अब एक ऐसी आंख जो इस तरह के आतंकियों पर हर पल और हर जगह निगाह रखेंगी. और निगाह में आए हुए इन आतंकियों को सुरक्षाबलों की गोलियां आखिरी अंजाम तक पहुंचा देंगी. अब आप जान लीजिए ये सुरक्षा बलों की ये तीसरी आंख कौन सी है. फोलिएज पैनिट्रेटिंग रडार यानि ऐसा रडारयुक्त कैमरा जो घने जंगलों में छिपे हुए आतंकियों को पल भर में खोज लेगा.
आतंकियों के खिलाफ इस तरह के रडार का इस्तेमाल पश्चिमी देशों में और इजरायल में काफी कामयाब रहा है. इसी के बाद एनएसए अजीत डोभाल ने सुरक्षा बलों के इस रडार के इस्तेमाल का निर्देश दिया. और पाकिस्तान के साथ एलओसी पर इस रडार के सहारे एक ऐसी अभेद्य दीवार खड़ी की जा रही है जिसको लांघ कर आतंकी घाटी में किसी वारदात को अंजाम देने से पहले सुरक्षा बलों के निशाने पर आ जाएं. इस रडार को इजरायल से खरीदा जा रहा है. इसके लिए हिंदुस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की एक टीम अगस्त केआखिरी सप्ताह में इजरायल जा रहा है.
ऐसे देगा काम को अंजाम
1. रडार को अलग-अलग लोकेशन पर फिट किया जाएगा.
2. रडार को एक सेन्ट्रल मॉनिटिरीग कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा.
3. रडार किसी भी मूवमेंट को पकड़ने के साथ ही उस जगह की इमेज और वीडियो बना कर सीधा कंट्रोल रूम तक पहुंचाएगा.
4. इस तकनीक के सहारे आतंकियों की लोकेशन और संख्या के साथ साथ उनके पास मौजूद हथियार और गोला बारूद की जानकारी भी कंट्रोल रूम को देगा.
बुरहान कांड से आई तेजी
आतंकी बुरहान के एनकाउंटर के बाद घाटी में बदले हालात को देखते हुए इस रडार की खरीद में तेजी लाई गई है. पूर्व गृहसचिव मधुकर गुप्ता के नेतृत्व में एक कमेटी ने भी एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर इलेक्ट्रानिक सर्विलांस बढ़ाने की सिफारिश की थी. इन रडार की खरीद इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इस तकनीक में महारथ हासिल करने के लिए सुरक्षा बलों की एक टीम इजरायल में ट्रैनिंग लेने के लिए जल्दी ही रवाना होगी.
डोभाल लगे हैं पीछे
घने जंगलों का सहारा लेकर सुरक्षा बलों को गच्चा दे रहे आतंकियों को अब तीसरी आंख के सहारे माकूल जवाब देने की तैयारी हो चुकी है. एनएसए अजीत डोभाल खुद इस प्रोजेक्ट को जल्दी से जल्दी पूरा करने पर जोर दे रहे है. एनएएसए की ये कोशिश आतंक के आका हाफिज सईद के आतंकियों को जल्दी से जल्दी उनके अंजाम तक पहुंचाने की है.