रिलायंस-एयरसेल मर्जर का रास्ता साफ, स्पेक्ट्रम के मामले में होगी नंबर-2 कंपनी

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भारतीय टेलीकॉम कंपनियों में अधिग्रहण और मर्जर का दौर जारी है. एयरटेल-टेलीनॉर और आईडिया-वोडाफोन के बाद अब अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन (RCOM) और एयरसेल के मर्जर का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि सितंबर में रिलायंस जियो के लॉन्च के साथ ही रिलायंस कम्यूनिकेशन और एयरसेल ने अपने मर्जर प्लान का ऐलान किया था.

रिलायंस कम्यूनिकेशन और एयरसेल के शेयरहोल्डर्स ने दोनों मोबाइल कंपनियों के मर्जर के लिए मंजूरी दे दी है. मर्जर के बाद ये रेवेन्यू और सब्सक्राइबर के मामले में भारत की चौथी बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन जाएगी. कुछ सर्कल्स में ये तीसरी सबसे बड़ी कंपनी होगी.

कंपनी ने कहा है कि स्पेक्ट्रम के मामले में यह विलय इकाई (Merged Entity) दूसरी सबसे बड़ी कंपनी होगी.

RCom ने कहा है, ‘विलाए इकाई 65 हजार करोड़ रुपये के ऐसेट बेस और 35 हजार करोड़ रुपये नेट वर्थ के साथ यह भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक होगी’

रिलायंस कम्यूनिकेशन के मुताबिक एयरसेल के साथ विलय से देश में एक मजबूत टेलीकॉम ऑपरेटर बनेगा जो भारत की टॉप-4 टेलीकॉम कंपनियों में शामिल होगा.

रिलायंस कम्यूनिकेशन ने सोमवार को ऐलान किया है कि ज्यादातर शेयरहोल्डर्स ने कंपनी के वायरलेस बिजनेस को एयरसेल के डी मर्ज करने के लिए अप्रूवल दे दिया है.

गौरतलब है कि R-Com ने एयरसेल के साथ मर्जर के लिए पहले अपने टेलीकॉम बिजनेस को डी-मर्ज यानी अलग किया. विलय के बाद R-Com और एयरसेल दोनों कंपनियां 50 फीसदी शेयर रखेंगी और साथ ही बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में बराबर शेयर होंगे.

कंपनी ने नेशनल स्टॉक एस्चेंज फाइलिंग में कहा है, ‘रिलायंस कंप्यूनिकेशन लिमिटेड के 99.99 फीसदी शेयर धारकों ने मीटिंग के दौरान कंपनी के वायरलेस डिविजन और रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड को एयरसेल लिमिटेड और डिशनेट वायरलेस लिमिटेड के साथ डी मर्ज करने की अनुमति दे दी है.’

दोनों कंपनियों के शेयर धारकों की मंजूरी के बाद RCom ने कहा है कि कंपनी के पास पहले से ही सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया का अप्रूवल है.

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