उज्जैन – (ईपत्रकार.कॉम) |संपूर्ण विश्व को ज्ञान और मानवता भारत देश की ही देन है। यहाँ की मानवीयता पूरे विश्व में विख्यात है और सबके कल्याण का संदेश देता है। मानव जीवन को सत्यता का दिग्दर्षन भारत के मनीषियों ने कराया है। वर्तमान भौतिकवादी युग में दुनिया के तडपते हुए मानव को सुख और शांति की तलाश है। दुनिया के लिए यह चिंता का विषय हो या न हो किन्तु भारत और भारतीय दर्षन दूसरों को सुख देने की सीख देता है।
इस आशय के विचार चिन्तामण गणेश स्थित श्री महाकालेश्वर वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय वैदिक गणित की राष्ट्रीय कार्यशाला क समापन अवसर पर श्री माखन सिंह ने व्यक्त किये। कार्यशाला में देश के 18 प्रान्तों के लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लेकर वैदिक गणित के विषय विशेषज्ञों के द्वारा चिन्तन और मनन किया। श्री माखन सिंह ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि वैदिक गणित का मंथन कर जो उन्होंने सीखा है और पाठ्यक्रम का निर्माण किया है। उसे सरकार और विश्व विद्यालयों को अंगीकार करने हेतु विचार किया जावेगा। उन्होंने कहा कि भौतिकता की भूख में मानव गलत राह पर चल पडा है जो गलत है। हम सब उसे संस्कारिक करने का प्रयत्न करेंगे। हमारे महापुरूषों ने मनुष्य को जोड़ने और संस्कारिक करने की शिक्षा दी है।
कार्यक्रम के आरंभ में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के वैदिक गणिक के राष्ट्रीय संयोजक श्री कैलाश विश्वकर्मा ने तीन दिवसीय कार्यशाला का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि कार्यशाला में वैदिक गणित के सामान्य विषय से शोध तक जाने का चिन्तन मनन और मंथन हुआ है। श्री माखन सिंह, मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य द्वय श्री विभाष उपाध्याय एवं श्री जगदीश शुक्ला तथ सहायक प्रशासक सुश्री प्रीति चैहान ने विषय विशेषज्ञों में सर्वश्री विश्वनाथ, बैंगलोर, रोहतक के राजेश भाटिया, अकोला से राम चैथाईवाल, हैदराबाद के सीताराम, नागपुर के अनंत श्रीवास, सुश्री कालिंदी नाटे, हैदराबाद के सुभाष, दिल्ली के चन्द्रशेखर इन्दौर के श्रद्धा ताई देशपाण्डे, शेफाली जोशी आदि को भगवान महाकाल के आशीर्वाद स्वरूप दुपट्टा एवं लड्डू प्रसाद भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला के संयोजन डॉ. वी.के. गुप्ता ने किया और अंत में आभार सहायक प्रशासक सुश्री प्रीति चैहान ने व्यक्त किया इस अवसर पर डॉ. राजेन्द्र गुप्त, डॉ. धर्मेन्द्र यादव, डॉ. राजीव पण्ड्या, डॉ. पीयूष त्रिपाठी, डॉ. जफर मेहमूद सहित देशभर से आये वैदिक विद्वान आदि उपस्थित थे।