वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि चुनावी खर्च सरकार द्वारा वहन किए जाने के मुद्दे पर चर्चा की जरूरत है क्योंकि आलोचक यह सवाल कर सकते हैं कि चुनाव का खर्च उठाने के लिए लोगों पर क्यों अतिरिक्त कर लगाया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस बात की ‘‘कोई गारंटी नहीं’’ है कि चुनाव प्रचार अभियान में बाहरी राशि नहीं आएगी। जेटली ‘‘चुनावी बांड’’ के जरिए राजनीतिक दलों के वित्तपोषण के पक्ष में हैं।
उन्होंने अपने बजट भाषण में इस बांड का प्रस्ताव किया है। यह बांड हर चुनाव के कुछ समय पहले बिक्री के लिए उपलब्ध होगा और दाता अनुसूचित बैंकों से धारक बांड खरीद सकते हैं तथा अपनी पसंदीदा पार्टी को दान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चुनाव खर्च वहन किया जाना संभव सुझाव है। लेकिन वह सिर्फ दो कैविएट जोडेंगे। उन्होंने कहा कि यह नहीं समझा जाना चाहिए कि वह इसके आलोचक हैं।
जेटली ने ‘‘कैम्पेन फाइनेंस रिफार्म इन इंडिया’’ पर एक परिचर्चा में कहा कि आने वाले समय में कई लोग सवाल कर सकते हैं कि राजनीतिक चुनाव का खर्च वहन करने के लिए लोगों पर अतिरिक्त कर क्यों लगाया जाना चाहिए। उन्होंने दलील दी कि इस माडल में जहां सरकार राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों को चुनाव लडने के लिए पैसे देती है, वहां इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सिर्फ सरकार से मिली राशि का ही उपयोग होगा और कोई बाहरी पैसा खर्च नहीं होगा।