अगर करते हैं डिजिटल पेमेंट तो हो जाएं सावधान

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कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग डिजीटल पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर आप महीने में 20 से ज्यादा बार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए भुगतान करते हैं तो आपको चार्ज देना पड़ेगा। इसकी शुरुआत लगभग सभी प्राइवेट बैंकों ने कर दी है और 2.5 से 5 रुपए तक चार्ज वसूल रहे हैं। हालांकि सरकार ने साफ कहा है कि यूपीआई के जरिए पेमेंट निःशुल्क होगा लेकिन बैंकरों का तर्क है कि सिस्टम पर फालतू लेनदेन के लोड से बचने के लिए यह चार्ज वसूलने की व्यवस्था की गई है।

बैंक अपने हिसाब से नियम की व्याख्या कर रहे हैं जबकि पेमेंट फ्री है और ट्रांसफर पर चार्ज लगाया जा सकता है। रिपोर्ट में इसकी विसंगतियों को उजागर करते हुए कहा गया है कि सरकार और आरबीआई को बैंकों को कंपनसेट करने की व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए। निजी बैंकों ने ऐसे समय पर यूपीआई पर चार्ज लगाना शुरू किया है जबकि इसका इस्तेमाल 8 फीसदी की मासिक दर से बढ़ रहा है। अप्रैल में इसके जरिए 80 करोड़ लेनदेन हुए थे जबकि अगस्त में इसके 160 करोड़ पहुंचने का अनुमान है।

इसकी संख्या में तेजी की वजह गूगल पे, फोनपे और पेटीएम जैसी फिनटेक कंपनियों द्वारा दिया जा रहा प्रोत्साहन है। ये कंपनियों यूजर्स को कई तरह के रिवॉर्ड और अन्य बेनिफिट्स दे रही हैं। बैंकों का कहना है कि कई अकाउंटहोल्डर्स पैसा भेजकर फिर वापस मंगा रहे हैं और इस तरह सिस्टम पर लोड बढ़ रहा है।

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