जन्म का समय तय करता है कैसी होगी आपकी पर्सनालिटी

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जिन लोगों का जन्म सुबह के समय हुआ है वे सो कर प्रात:काल उठ जाते हैं। वहीं दोपहर, शाम और रात को पैदा होने वाले बच्चे देर से उठते हैं। इतना ही नहीं सुबह पैदा हुए लोग दिन में काम करना पसंद करते हैं, जबकि रात को पैदा हुए लोग शाम या देर रात में काम को तवज्जो देते हैं। वैज्ञानिक शोध में इस बात की पुष्टि की है कि जन्म का समय व्यक्ति की दिनचर्या तय करता है।

अमेरिका की क्लीवलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने दावा किया कि मनुष्य की विशेषताएं जैसे बुद्धिमता, रचनात्मकता, अपराधी बनने की आशंका, अवसाद और मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा भी जन्म के समय पर काफी हद तक निर्भर करता है। उनका कहना है कि अगर शाम या रात को पैदा हुए लोगों को सुबह जल्दी उठकर ऑफिस जाने को बाध्य किया जाए तो उनका काम में मन नहीं लगता है और स्वभाव में चिड़चिड़ेपन के साथ उनके स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर पड़ता है। वे मधुमेह, मोटापा और अवसाद जैसी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।

क्लीवलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2010 में विद्यार्थियों के एक बड़े समूह का टेस्ट सुबह और शाम में लिया। इसमें प्रतिभागियों का मानसिक परीक्षण किया गया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के जन्म के समय का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि सुबह लिए गए टेस्ट में उन प्रतिभागियों ने बेहतर प्रदर्शन किया जिनका जन्म सुबह में हुआ है। वहीं शाम वाले टेस्ट में रात में जन्मे प्रतिभागियों का प्रदर्शन बेहतर था।

जन्म के समय तय होता है बॉडी क्लॉक 
सोशल साइकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक हर व्यक्ति का बॉडी क्लॉक यानी उसके जगने और काम करने का समय उसके पैदा होने के समय के अनुसार निर्धारित होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चा जब मां के गर्भ से निकलकर पहली बार प्रकाश को देखता है तभी उसका बॉडी क्लॉक सेट हो जाता है। इस तथ्य की पुष्टि के लिए हेलसिंकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 2013 में 25 से 30 साल के लोगों पर एक अध्ययन किया। इनमें प्रीमेच्योर बेबी यानी समय से पहले जन्मे बच्चे भी थे। इस अध्ययन में पाया गया कि प्रीमेच्योर बच्चे आम लोगों के मुकाबले कम से कम 40 मिनट पहले जगते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि आज से करीब 20 साल पहले नवजात बच्चों की देखभाल करने वाली इंटेसिव केयर इकाइयों में लाइट हमेशा जलती रहती थी। जिसके कारण इन बच्चों का बॉडी क्लॉक जल्दी उठने का सेट हो गया।

सुबह जन्मे बच्चे रहते हैं स्वस्थ
2014 में बार्सिलोना यूनिवर्सिटी ने 18 से 32 साल के बीच 700 लोगों पर एक अध्ययन किया। इसमें पाया गया कि शाम या रात को जन्म लेने वाले बच्चों के मुकाबले सुबह के समय जन्म लेने वाले बच्चे अधिक स्वस्थ रहते हैं और अपना काम दृढ़ संकल्प के साथ पूरा करते हैं। उन्हें थकान, हताशा और चिंता कम महसूस होती है। वे अधिक व्यावहारिक और कर्मठ होते हैं, जिसके कारण जीवन में संतुष्टि प्राप्त कर पाते हैं।

बुद्धिमान होते हैं शाम में जन्मे बच्चे
दुनियाभर में हुए अध्ययनों में पाया गया कि शाम या रात को जन्मे बच्चे सुबह जन्मे बच्चों के मुकाबले अधिक बुद्धिमान, रचनात्मक और नवीन खोज करने वाले होते हैं। सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 420 लोगों पर एक अध्ययन किया और पाया कि जिन बच्चों का जन्म दोपहर के बाद हुआ है उनका आईक्यू लेवल अधिक है। वे अधिक रचनात्मक और हमेशा नए प्रयोग करने में विश्वास रखते हैं। लेकिन उनका मूड बदलता रहता है। उनके अधिक आक्रामक और गैरसामाजिक होने की संभावना भी रहती है। ब्रिटेन के लौघ्बोरौघ विश्वविद्यालय के प्रोफसर और स्लीप एक्सपर्ट डॉ. जिम हॉर्ने का कहना है कि दुनियाभर में 15 फीसदी लोगों का जन्म सुबह और 15 फीसदी का जन्म रात में होता है। बचे 70 फीसदी लोगों का जन्म इन दोनों समय के बीच में होता है।तक बढ़ जाता है।

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