जाने हिन्दू धर्म में विवाह की रस्में शाम के बाद ही क्यों होती है

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हिंदू धर्म हो या फिर कोई भी धर्म। हर धर्म में अपने अनुसार पूजा-पाठ, शादी आदि किए जाते है। शादी ही एक ऐसा अवसर होता है। जहां पर केवल दो इंसान ही एक दूसरे के नहीं होते है बल्कि दो परिवारों के बीच भी रिश्ता होता है। ऐसा रिश्ता जो कि हर दुख-सुख के साथी बनते है। इस रिश्तें की शुरुआत शादी से होती है। जिसमें कुंडली का मिलान, शुभ मुहूर्त आदि देखे जाते है।

जिसके बाद ही सावधानी के साथ विवाह किया जाता है। जिससे कि बाद में दंपत्ति को किसी भी प्रकार की समस्या न हो। हर धर्म में शादी की अपनी रस्में होती है। इसी तरह हिंदू धर्म में सात फेरे की रस्म होती है। जिसके बाद ही शादी पूर्ण मानी जाती है। इस रस्म को गौधूली बेला कहा जाता है। जिसका मतलब है कि शाम का समय जब गाए जंगल से लौटकर आती है। तब उनके पैरों से धूल उड़ती है। उस समय को गौधूली बैला कहा जाता है। इस समय में ही शादी की रस्म करना शुभ माना जाता है।

हमारे दिमाग में ये बात हमेशा आती है कि आखिर हिंदू धर्म में शादी शाम के ही समय क्यों की जाती है। इसके पीछे धार्मिक कारण है। शाम के इस समय को सूर्य और चंद्रमा के मिलन का समय माना गया है। जिस तरह इस समय होने वाला सूर्य और चंद्रमा का मिलन हमेशा के लिए अमर रहता है। इसी तरह माना जाता है कि लड़का-लड़की की शादी करते समय इस समस्या को अधिक महत्व दिया जाता है। जिससे कि उनकी जोड़ी हमेशा सूर्य-चंद्र की तरह अमर रहे।

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