राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि वह पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का अपना फैसला वापस ले रहे हैं। तीन दिन पहले अपने इस्तीफे की घोषणा कर सबको चौंका देने वाले पवार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह अपने सहयोगियों और पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का अनादर नहीं कर सकते। पार्टी कार्यकर्ता उनसे इस्तीफे का फैसला वापस लेने की लगातार अपील कर रहे थे।
पवार ने कहा, “मैं उनकी भावनाओं का अनादर नहीं कर सकता। मेरे लिए दिखाए गए प्यार और विश्वास से मैं अभिभूत हूं। आप सभी की अपील को ध्यान में रखते हुए और पार्टी द्वारा गठित समिति के निर्णय का सम्मान करते हुए, मैं सेवानिवृत्त होने का अपना निर्णय वापस ले रहा हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि किसी संगठन में किसी भी पद या जिम्मेदारी के लिए एक “उत्तराधिकार योजना” होनी चाहिए।
पवार ने कहा कि वह पार्टी में संगठनात्मक बदलाव, नई जिम्मेदारियां सौंपने और नया नेतृत्व तैयार करने पर ध्यान देंगे। उन्होंने कहा, “मैं संगठन को आगे बढ़ाने के लिए भी पूरी ताकत से काम करूंगा और हमारी विचारधारा तथा पार्टी के लक्ष्यों को लोगों तक ले जाऊंगा।”
शुक्रवार को हुई एनसीपी समिति की बैठक
इससे पहले एनसीपी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए गठित समिति द्वारा जैसे ही एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के शरद पवार के फैसले को खारिज किया गया कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय के बाहर जमकर जश्न मनाया। कार्यकर्ताओं ने पटाखे छोड़े और ‘एकच साहेब’ का नारा लगाया।
पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता दक्षिण मुंबई में बल्लार्ड एस्टेट में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए थे और पवार से उनके फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग कर रहे थे। समिति की आधिकारिक बैठक हालांकि सुबह 11 बजे होनी थी, लेकिन नेता और पार्टी कार्यकर्ता निर्धारित समय से काफी पहले पहुंच गए थे। सभी अच्छी तालमेल में और व्यवस्थित दिखाई दिए – कार्यकर्ताओं ने सफेद रंग की टोपी पहन रखी थी जिस पर नीले रंग में छपा था, “मैं साहेब के साथ हूं”।
अजित पवार को राजनीतिक गलियारों में “दादा” के नाम से भी जाना जाता है। इस हफ्ते की शुरुआत में पवार द्वारा पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा के बाद एनसीपी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था। शिवसेना के पूर्व लोकसभा सदस्य आनंद परांजपे, जो बाद में एनसीपी में शामिल हो गए, ने कहा, “पवार साहब को समिति के प्रस्ताव को स्वीकार करना होगा।”