जन-सहयोग से बना मंदिर सभी की श्रद्धा और भक्ति का केन्द्र : मुख्यमंत्री श्री चौहान

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मांडकला में भगवान धरणीधर का अद्भुत मंदिर बनाया गया है। धाकड़ समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं लोकप्रिय सांसद श्री रोड़मल नागर सहित अन्य दानदाताओं के सहयोग से बना यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिये आस्था का केन्द्र है। यह केवल मंदिर नहीं, यहाँ सभी की श्रद्धा और भक्ति लगी हुई है। जन-सहयोग के इन प्रयासों के लिए मैं संपूर्ण समाज का हृदय से अभिनंदन करता हूँ और बधाई देता हूँ। मुख्यमंत्री ने भगवान धरणीधर के दर्शन कर सभी की सुख-समृद्धि, रिद्धि-सिद्धि और कल्याण की प्रार्थना की। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज राजस्थान के जिला टोंक में भगवान धरणीधर के मंदिर में मूर्ति स्थापना समारोह में सपत्निक शामिल हुए। लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला सहित जन-प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि धाकड़ वंश के आराध्य देव भगवान धरणीधर का अस्त्र और शस्त्र हलधर रहा है। उनके एक हाथ में हल और दूसरे हाथ में शस्त्र भी हैं। जब जरूरत पड़ती है हम अन्य के भंडार भरने का काम करते हैं, मेहनत कर अपना खून-पसीना बहा कर अन्न उत्पादन करने का काम करते हैं। साथ ही जब-जब देश को जरूरत पड़ी तो सीमाओं पर जाकर देश की रक्षा करने में भी हम कभी पीछे नहीं हटते। देश-भक्ति ही सदैव से हमारा भाव है। जब आजादी के लिये लड़ाई हुई तब हमारे कई ऐसे वीर स्वतंत्रता सेनानी निकले, जिन्होंने देश को आजाद कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मैं उन सब को प्रणाम करता हूँ।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि धन चला जाए फिर वापस मिल जाएगा, लेकिन हम धर्म को कभी जाने नहीं देंगे। हमने सदैव धर्म को बनाये रखने की कोशिश की है। मानव जीवन में भगवान और परमात्मा की प्राप्ति के लिए हमारे धर्म में तीन रास्ते बताए गए हैं। पहला ज्ञान मार्ग, दूसरा भक्ति मार्ग और तीसरा कर्म मार्ग। धार्मिक कार्यों में जो प्रवचन करते हैं वे हमें ज्ञान मार्ग बताते हैं। यह ज्ञानमार्गी भगवान को प्राप्त करते हैं। दूसरा भक्ति मार्ग, धरणीधर भगवान के हम भक्त हैं, हम आरती करते हैं, हम भजन करते हैं, हम कीर्तन करते हैं, हम पूजन करते हैं, यह करने वाले भी परमपिता परमात्मा को प्राप्त करते हैं। तीसरा मार्ग है कर्म मार्ग, भगवान ने हमे जो काम अपनी तरफ दे दिया उसको मेहनत और ईमानदारी से करने वाले कर्म मार्गी होते हैं। किसानों ने खूब अन्न पैदा कर पेट भरे, अगर शिक्षक इमानदारी से पढ़ाई, डॉक्टर बीमारों का ढंग से इलाज करें और जन-प्रतिनिधि ईमानदारी से जनता की सेवा करें तो अपने आप भगवान मिल जाएंगे और भगवान को ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि धाकड़ समाज ज्ञान, भक्ति और कर्म का त्रिवेणी संगम है। समाज ने आज पगड़ी बांध कर जो सम्मान दिया है, उसकी शान को कभी कम नहीं होने दूँगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में जब मैं मुख्यमंत्री बना, उस समय सिर्फ 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हुआ करती थी। इसमें वृद्धि कर आज हमने 45 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था कर प्रदेश को खेती में नंबर-वन बना दिया है। प्रदेश में अभी भी अनेक सिंचाई परियोजनाओं पर दिन-रात काम चल रहा है। पहले प्रदेश में टूटी-फूटी केवल 70 हजार किलोमीटर सड़कें थी। आज शानदार 4 लाख किलोमीटर सड़कें बन चुकी हैं। पहले बिजली का उत्पादन 2900 मेगावाट था, जो आज बढ़ कर 28 हजार मेगावॉट हो गया है। मध्यप्रदेश में 24 घंटे बिजली देने का चमत्कार हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता के आशीर्वाद से मध्यप्रदेश की प्रगति और भलाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए भी अनेक काम किये गये। एक तरफ लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना है, जो प्रदेश में पैदा होने वाली हर बेटी को लखपति बनाती है और बेटी को शिक्षित करने में सहयोग देती है। इसी क्रम में प्रदेश की गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवार की बहनों के लिये मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई गई है, जिसमें पात्र बहनों को के खाते में प्रतिमाह 1000 रूपये जून माह से डाले जायेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में गरीबों की जिंदगी बदलने का महाअभियान चलाया जा रहा है। केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं से जन-कल्याण के साथ विकास के कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने उज्जैन में बने श्रीमहाकाल महालोक, ओंकारेश्वर में बन रहे एकात्म धाम सहित अन्य शहरों में बन रहे धार्मिक स्थलों की जानकारी दी और राजस्थान के लोगों को मध्यप्रदेश आने का निमंत्रण भी दिया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार प्रगति और विकास कर रहा है। आज हमें गर्व होता है जब भारत का डंका दुनिया में चारों तरफ बज रहा है, हमारा तिरंगा पूरी दुनिया में बुलंद हो रहा है। उन्होंने कहा कि तिरंगे को और भी बुलंद करने में हम अपने साहस का प्रदर्शन करते हुए योगदान दें।

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