केंद्रीय नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने विमान ईंधन (एटीएफ) को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि इस कदम से विमानन कंपनियों को लागत में कमी लाने में मदद मिलेगी क्योंकि उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलेगा।
प्रभु ने कहा, ‘‘हम इसको लेकर काफी गंभीर है। मैं इस मामले को जीएसटी परिषद के समक्ष रख रहा हूं। इसके जीएसटी दायरे में आने से इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा और इसके फलस्वरूप लागत में कमी आएगी।’’ विमानन कंपनियां विमान ईंधन को नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में शामिल करने की मांग कर रही हैं।
नागर विमानन सचिव आर एन चौबे ने भी हाल ही में कहा कि मामले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाया जाएगा क्योंकि विमान ईंधन की कीमत जनवरी 2017 से 40 प्रतिशत बढ़ी है। यह माना जाता है कि अगर एटीएफ को माल एवं सेवा कर के दायरे में लाया जाता है विमानन कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में 5,000 करोड़ रुपए तक की सालाना राहत मिलेगी। इस कदम से जहां एक तरफ एयरलाइंस को विमान ईंधन की बढ़ी लागत से राहत मिलेगी वहीं ग्राहकों को भी लाभ होगा।