जाने क्‍यों,बंगाली दुल्हन पहनती हैं शाखा-पोला कंगन

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भारत के हर राज्य में दुल्हनों को अलग-अलग पहनावा और ज्वैलरी स्टाइल होता है. हिंदू समाज में जहां लड़कियां लाल लहंगा पहनकर शादी करती हैं वहीं साउथ इंडियन दुल्हनें कांजीवरम साड़ी, पंजाबी सूट-सलवार पहनती हैं. बात अगर बंगाली दुल्हन की हो तो उनका पहनावा ही नहीं बल्कि ज्वेलरी भी बेहद खास होती है.

सुर्ख लाल जोड़े के साथ बंगाली दुल्हनें ट्रेडिशनल ज्वैलरी, बड़ी गोल बिंदी, सीता हार, पट्टी हार, कान झुमका, टिकली, चुर के साथ शाखा-पोला कंगन भी जरूर पहनती हैं. हालांकि उन्हें पहनने के पीछे एक खास महत्व भी छिपा है. यहां हम आपको बंगाली दुल्हनों की खास ज्वैलरी और उनकी अहमियत के बारे में बताएंगे. तो चलिए जानते हैं बंगाली दुल्हनें क्यों पहनती हैं शाखा-पोला, टिकली आदि-

बंगाल में ‘दोधी मोंगल’ रस्म के दौरान दुल्हन को खास तरह की चूड़ियां पहनाई जाती हैं, जिन्हें शाखा पोला कहते हैं. शाखा पोला कंगन खास शंख से तैयार किए जाते हैं. रस्म के दौरान 7 शादीशुदा औरतें हल्दी वाले पानी में सफेद और लाल कंगन भिगोकर दुल्‍हन को पहनाती हैं. यह बंगाली औरतों के शादीशुदा होने की निशानी माना जाता है. वहीं, एक मां दुल्हन को शाखा पोला पहनाते वक्त उसे सुखी जीवन का आशीर्वाद देती हैं.

माना जाता है कि कुछ समय पहले एक मछुआए के पास बेटी की शादी के जैवर खरीदने के पैसे नहीं थे. ऐसे में उसे समुद्र से शंख और कोरल निकाल कंगन बना दिए. तभी से माता-पिता इसे अपने आशीर्वाद के रूप में बेटियों को पहनाते हैं.

लोहे का कड़ा- शाखा पोला के साथ बंगाली दुल्हनें बाएं हाथ में लोहे का कड़ा भी जरूर पहनती हैं. मगर, उन्हें यह कड़ा सास के तरफ से तोहफे में मिला है. मान्यता है कि दुल्हन को यह कड़ा बुरी नजर से बचाने के लिए पहनाया जाता है.

टोपोर- सफेद रंग टोपोर कपल्स को सौभाग्य के लिए पहनाया जाता है इसलिए दूल्हा-दुल्हन इसके बिना बाहर नहीं निकलते. शोलापिथ यानि स्पंज वुड प्लांट या कॉर्क ट्री (एक पेड़) से बने यह मुकुट काफी नाजुक होते हैं, जो आसानी से टूट या जल सकते हैं.

चंदन- चंदन का एक अलग डिज़ाइन जो बिंदी के किनारों पर बनाया जाता है, वो भी बंगाली दुल्हनों की एक खास पहचान है. आज भी, ज्यादातर बंगाली दुल्हनें बिंदी के साथ चंदन का सुदंर डिजाइन जरूर डलवाती हैं. इसका सफेद रंग शांति और लाल रंग प्यार और सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक समझा जाता है.

अल्टा- पहले के समय में अल्टा को सुपारी से बनाया जाता था लेकिन बदलते समय के साथ मेहंदी ने अल्टा की जगह ले ली. हालांकि आज भी कई दुल्हनें पैरों में आल्टा लगाना पसंद करती हैं, जो उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक है.

साड़ी – बनारसी साड़ी भारत की बेहतरीन साड़ियों में से हैं, जो हर देश में अलग-अलग तरीकों से पहनी जाती हैं लेकिन ‘आथ पोरे’ शैली पारंपरिक बंगाली शैली है.

आभूषण- चूड़ियां जैसे थोरबूजा बाला, रूली, मोयूर मुख बाला, पशर बल, मीनार बाला बंगाली दुल्हन की खास पहचान होते हैं. इसके अलावा झुमका, कान बाला, कान पाशा बंगाली दुल्हन के लुक को निखारने में मदद करता है.

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