राफेल करार ‘बोफोर्स का बाप’ है : शिवसेना

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राफेल डील विवाद पर घिरी हुए केंद्र की मोदी सरकार के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर हमला कर रही थीं, अब बीजेपी के सहयोगियों ने भी उनपर निशाना साधना शुरू कर दिया है.

शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने रविवार को राफेल सौदे को ‘‘बोफोर्स का बाप’’ करार दिया और कहा कि इस सौदे के खिलाफ बार-बार बोलने से देश की राजनीति में राहुल गांधी का महत्व बढ़ा है.

पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में राउत ने कहा कि जिन लोगों ने बोफोर्स सौदे में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के रिश्तेदार पर 65 करोड़ की घूस लेने का आरोप लगाया था वे अब सत्ता में हैं. ‘‘आज उन पर राफेल विमान सौदे में 700 करोड़ रूपये की घूस लेने का आरोप है. राफेल बोफोर्स का बाप है.’’

सौदे पर फ्रांस्वा ओलांद के दावों को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना सांसद ने हैरानी जताई की पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति को कांग्रेस अध्यक्ष का समर्थक कहा जाएगा या एक ‘‘राष्ट्र विरोधी’’ करार दिया जाएगा.

फ्रांसीसी मीडिया की एक रिपोर्ट में 21 सितंबर को ओलांद के हवाले से कहा गया था कि भारत सरकार ने राफेल के निर्माता दसॉल्ट एविएशन को 58,000 करोड़ रूपये के इस सौदे में रिलायंस डिफेंस का ऑफसेट साझेदार बनाने का प्रस्ताव दिया था और फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं था.

शिवसेना नेता ने कहा, ‘‘सवाल यह नहीं है कि अनिल अंबानी को युद्धक विमान बनाने का अनुबंध दिया गया बल्कि प्रत्येक विमान के लिये 527 करोड़ रूपये के मूल्य के बजाए मोदी सरकार के कार्यकाल में यह सौदा 1570 करोड़ रूपये में किया गया. इसका मतलब बिचौलिये को प्रति विमान करीब 1,000 करोड़ रूपये की दलाली मिली.’’

राउत ने भाजपा के उन आरोपों को हास्यास्पद करार दिया कि सौदे को लेकर गांधी द्वारा की जा रही आलोचना ‘‘पाकिस्तान की भाषा बोलने और उसकी मदद’’ करने सरीखा है.

उन्होंने कहा, ‘‘यही आरोप बोफोर्स सौदे (1980 के दशक के आखिरी वर्षों में) के दौरान कांग्रेस के खिलाफ लगाए गए थे. क्या तब इससे पाकिस्तान की मदद नहीं हो रही थी? जो सत्ता में हैं वे बोफोर्स को एक घोटाला मानते हैं…हालांकि वे यह मानने को तैयार नहीं कि राफेल भी एक घोटाला है.’’

राज्यसभा सांसद ने कहा, ‘‘देश में सिर्फ राहुल गांधी राफेल करार के खिलाफ बोल रहे है, जबकि बाकी सभी राजनीतिक दल खामोश हैं. इसलिये राहुल अब देश की राजनीति में ज्यादा महत्व पा रहे हैं.

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